रचना अग्रवाल

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रचना अग्रवाल हिंदी की एक कवियत्री और लेखिका हैँ तथा कविता, कहानी , गीत , संस्मरण , यात्रावत आदि सभी विधाओँ मेँ हस्तक्षेप रखती हैँ। सामाजिक अन्याय के प्रति आक्रोश तथा सरल सहज भाषा शैली इनकी रचनाओँ की प्रमुख विशेषता है।

कार्यक्षेत्र

कवियत्री , लेखिका

राष्ट्रीयता

भारतीय

भाषा

हिंदी

शिक्षा

एम॰ए बी॰एड

विधा

गद्य और पद्य

प्रारम्भिक जीवन

रचना अग्रवाल का जन्म 24 फरवरी को उत्तरप्रदेश के हापुड़ जिले पिलखुवा शहर मेँ हुआ। वो बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि , मृदुभाषी , और बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीँ। इनके पिता एक गणित शिक्षक थे तथा बेहद विनम्र , मृदुभाषी , पुस्तक प्रेमी और प्रकांड विद्वान थे। इनकी माता एक गृहणी तथा एक बड़े भाई है जो गणित शिक्षक हैँ। पिता के प्रोत्साहन के कारण ही बचपन से ही रचना अग्रवाल को पुस्तकोँ से गहरा लगाव हो गया था। मात्र 10 वर्ष की उम्र मेँ उन्होँने अपनी पहली कविता लिखी जोकि एक बाल कविता थी बादल के उस पार । अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के पशचात रचना अग्रवाल ने हापुड़ के एस॰एस॰वी पी॰जी कॉलेज से हिँदी विषय से एम॰ए और गाजियाबाद के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से बी एड किया । माता के कठोर स्वभाव तथा रुढ़िवादिता के कारण बीच मेँ उनकी शिक्षा और लेखन कार्य मेँ थोड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ पर पिता के प्रोत्साहन और स्नेह की छाया मेँ वो निरन्तर आगे बड़ती रहीँ परन्तु 2014 मेँ पिता के अकस्मात निधन से उन्हेँ बहुत सदमा पहुँचा और वो अंदर से टूट गयीँ। लगभग दो साल बाद बड़े भाई के सहयोग और प्रेरणा से गम के अँधेरोँ से बाहर निकलकर उन्होँने एक बार फिर से लेखनी को थाम लिया और लिखना शुरु कर दिया। वर्तमान समय मेँ वो एक विद्यालय मेँ हिंदी शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैँ। पुस्तकोँ के अलावा रचना अग्रवाल को संगीत और प्रकृति से भी बेहद लगाव है। उनकी कविताओँ मेँ प्रकृति का मनोहारी चित्रण मिलता है।


प्रमुख कृतियाँ

यद्यपि रचना अग्रवाल ने गीत , गजल, कविता , कहानी , संस्मरण और यात्रावृत आदि विधाओँ मेँ अपनी लेखनी का जादू विखेरा है। तथापि कविता तथा गीत लिखना उन्हेँ अधिक पसंद रहा है।

उनकी प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैँ -

कविता संग्रह -

कहानी संग्रह -

संस्मरण -

  • पीली साड़ी वाली मैम
  • सरदार जी
  • वो पागल लड़का
  • डाक्टर अंकल
  • मंजीत

यात्रावृत -

  • ताजमहल के साये मेँ
  • वृन्दावन की कुँजगलिन मेँ
  • माँ वैष्णो के दर पर