यशवंत सिंह परमार
यशवंत सिंह परमार | |
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पद बहाल ८ मार्च १९५२[१] – ३१ अक्टूबर १९५६ | |
पद बहाल १ जुलाई १९६३ – २८ जनवरी १९७७ | |
उत्तरा धिकारी | ठाकुर राम लाल |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जीवन संगी | विवाहित |
पेशा | राजनेता, समाजसेवा |
धर्म | हिन्दू |
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डॉ॰ यशवंत सिंह परमार (०४ अगस्त १९०६ - ०२ मई १९८१) भारत के राजनेता एवं स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे। वह हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उनका हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में लाने और विकास की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लगभग 3 दशकों तक कुशल प्रशासक के रूप में जन-जन की भावनाओं संवेदनाओं को समझते हुए उन्होने प्रगति पथ पर अग्रसर होते हुए हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए नई दिशाएं प्रस्तुत की। उनका सारा जीवन प्रदेश की जनता के लिए समर्पित रहा वे उम्र भर गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करते रहे।
जीवनी
सिरमौर जिला के चनालग गांव में 4 अगस्त 1906 को जन्मे डॉ॰ परमार का जीवन संघर्षशील व्यक्ति का जीवन रहा। उन्होने 1928 में बी0ए0 आनर्स किया; लखनऊ से एम०ए० और एल०एल०बी० तथा 1944 में समाजशास्त्र में पी एच डी की।[२] 1929-30 में वे थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य रहे। उन्होने सिरमौर रियासत में 11 वर्षों तक सब जज और मैजिसट्रेट (1930- 37) के बाद जिला और सत्र न्यायधीश (1937 -41) के रूप में अपनी सेवाए दी।
वे नौकरी की परवाह ना करते हुए सुकेत सत्याग्रह प्रजामण्डल से जुड़े! उनके ही प्रयासों से यह सत्याग्रह सफल हुआ। 1943 से 46 तक वे सिरमौर एसोसियेशन के सचिव, 1946 से 47 तक हिमाचल हिल स्टेट कांउसिल के प्रधान, 1947 से 48 तक सदस्य आल इन्डिया पीपुलस कान्फ्रेस तथा प्रधान प्रजामण्डल सिरमौर संचालक सुकेत आन्दोलन से जुड़े रहे। डॉ॰ परमार के प्रयासों से ही 15 अप्रैल 1948 को 30 सियासतों के विलय के बाद हिमाचल प्रदेश बन पाया और 25 जनवरी 1971 को इस प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
1948 से 52 सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश चीफ एडवाजरी काउंसिल, 1948 से 64 अध्यक्ष हिमाचल कांग्रेस कमेटी, 1952 से 56 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ; 1957 सांसद बने और 1963 से 24 जनवरी 1977 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री पद पर कार्य करते रहे किया! डॉ॰ परमार ने पालियेन्डरी इन द हिमालयाज, हिमाचल पालियेन्डरी इटस शेप एण्ड स्टेटस, हिमाचल प्रदेश केस फार स्टेटहुड और हिमाचल प्रदे्श एरिया एण्ड लेगुएजिज नामक शोध आधारित पुस्तके भी लिखी। डॉ॰ परमार 2 मई 1981 को स्वर्ग सिधार गए।
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite news