मोहम्मद अयूब

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मोहम्मद अयूब (जन्म 1942) मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के जेम्स मैडिसन कॉलेज और राजनीति विज्ञान विभाग में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर हैं। वे मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में मुस्लिम स्टडीज़ प्रोग्राम के समन्वयक भी हैं।[१] अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत के भीतर उन्हें सबाल्टर्न यथार्थवाद (subaltern realism) के सिद्धांत के लिए जाना जाता है। इसके अनुसार तीसरी दुनिया के राज्य आम तौर पर कमजोर होते हैं और अक्सर आर्थिक और सैन्य रूप से बाहरी लाभार्थियों (जो अक्सर औद्योगिक राज्य होते हैं) पर निर्भर होते हैं। सुरक्षा को लेकर उनका बर्ताव इससे प्रभावित होता है।

सबाल्टर्न यथार्थवाद

अयुब ने पहली बार 1980 के दशक में सबाल्टर्न यथार्थवाद के अपने सिद्धांत को प्रस्तावित किया और 1990 के दशक में इसे और विकसित किया।

यह सिद्धांत केनेथ वाल्ट्ज और अन्य लोगों के नवयथार्थवाद (अन्तर्राष्ट्रीय सम्बंध) को तीसरी दुनिया के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा सकता है।

इसका उद्देश्य तीसरी दुनिया के राज्य व्यवहार के प्रमुख निर्धारकों, तीसरे विश्व राज्य के कुलीनों की प्रमुख चिंताओं और तीसरी दुनिया (Third World state behavior) में संघर्ष के मूल कारणों को समझने के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण प्रदान करना है। यह सिद्धांत इस बात पर ज़ोर देता है कि तीसरी दुनिया की स्थिति औद्योगिक देशों के प्रमुख राज्यों से कितनी अलग है, और तीसरी दुनिया को मुख्यधारा से अलग करने की अंतर्राष्ट्रीय संबंध सिद्धांतों की प्रवृत्ति की आलोचना करता है। यह सुरक्षा की एक वैकल्पिक अवधारणा प्रस्तावित करता है और अंतर्राष्ट्रीय संबंध सिद्धांतों में निहित असमानता पर जोर देता है।

सिद्धांत

सबाल्टर्न यथार्थवाद सिद्धांत इस बात की वकालत करता है कि तीसरी दुनिया के राज्य आम तौर पर कमजोर होते हैं, और अक्सर आर्थिक और सैन्य रूप से बाहरी लाभार्थियों (जो अक्सर औद्योगिक राज्य होते हैं) पर निर्भर होते हैं। इसलिए, तीसरी दुनिया के राज्य दीर्घकालिक लाभ और पूर्ण लाभ की तुलना में सापेक्ष लाभ और अल्पकालिक लाभ को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं।

इसके अतिरिक्त, तीसरी दुनिया के राज्यों की पारस्परिक क्रियाएँ (interactions) उनके आस-पड़ोस तक ही सीमित होती हैं- विशेष रूप से सुरक्षा क्षेत्र में, और वे ऐसे अन्य राज्यों के साथ पारस्परिक क्रिया करना पसंद करेंगे, जिनके पास समान विशेषताएं हैं। इसलिए वे अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मामलों से बहुत कम चिंतित रहते हैं।[२]

डेविड ड्रेयर ने भी इस विषय पर लिखा है।

संदर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. Ayoob, Mohammed: "Inequality and Theorizing in International Relations: The Case for Subaltern Realism", International Studies Review, Vol. 4, No. 3. (Autumn, 2002), pp. 27-48