मोहनदास नैमिशराय
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मोहनदास नैमिशराय ख्यातनाम दलित साहित्यकार एवं बयान के संपादक हैं। झलकारी बाई के जीवन पर वीरांगना झलकारी बाई नामक एक पुस्तक सहित उनकी ३५ से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें उपन्यास, कथा संग्रह, आत्म कथा तथा आलेख इत्यादि शामिल हैं। वे सामाजिक न्यास संदेश के संपादक भी हैं। उनका बचपन गरीबी में बीता। वे मेरठ में रहते थे। मिट्टी का कच्चा घर था। विशेष कपड़े भी उस समय पहनने के लिए नहीं थे। बिना चप्पल या जूते के भी आना-जाना पड़ता था। उनकी शिक्षा मेरठ में कुमार आश्रम में हुई। यह आश्रम लाला लाजपत राय ने दलितों की शिक्षा के लिए बनवाया था।[१]
उनके पिता आरंभ में सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे डिप्रेस्ड लीग के चेयरमेन रहे और जब उन्होंने हायस्कूल किया तो वे पूरे जिले में हायस्कूल करने वाले दूसरे व्यक्ति थे। पिताजी नाटकों में भूमिका भी करते थे।