मोपला विद्रोह

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मोपला विद्रोह
खिलाफत आन्दोलन, मोपला विद्रोह और भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन का अभिन्न भाग था का भाग
South Malabar 1921.png
वर्ष 1921 में दक्षिण मालाबार; जमींदारों के खून से मालाबार की धरती लाल
तिथि 20 अगस्त 1921
स्थान मालाबार
परिणाम सैंकड़ो मृत्यु
सेनानायक
अली मुस्लियार, वरियान कान्नाथु कुंजहम्मद हाजी, सिथी कोया ठंगल, चेम्ब्रेसरी ठंगल, के॰ मोइटींकुट्टी हाजी, कोन्नार ठंगल, अबदू एच॰ हिन[१]
मृत्यु एवं हानि
ब्रितानी सेना: 43 सैनिक मारे गये, 126 सैनिक घायल 50,000

मोपला विद्रोह : केरल के मोपला किसानों (रैय्यतो) ने 20 अगस्त 1921 में अंग्रेजो के पुलिस थानों को जलाने से शुरू होकर जिन्दा जलाने, सैकड़ों नागरिकों को जबरन कर देने से इंकार करते हुए मालाबार की धरती को जमीदारों के रक्त से लाल कर दिया गया था। इस नरसंहार को कुछ मार्क्सवादी इतिहासकार "मोपला विद्रोह" कहते है और भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की भी संज्ञा देते है जबकि यह एक पहले से प्रायोजित योजना थी जो अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष था. मोपला नरसंहार मालाबार के एरनद और वल्लुवानद तालुका में खिलाफत आन्दोलन के सहयोग में अंग्रेजों के खिलाफ आरम्भ हुआ था। इसमें अंग्रेज़ो के साथ - साथ सैकड़ों नागरिकों की निर्मम हत्या की गई जो अब तक का सबसे बड़ा नरसंहार है। [[[Dr. भीमराव अम्बेडकर]]] की किताब पाकिस्तान में इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है की केसे मुसलमानो ने अंग्रेजों की निर्मम हत्या की थी और जिसको बाद में विद्रोह का नाम देकर दबा दिया गया।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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