मैरी सीकॉले
मैरी जेन साकॉले जमैका की एक प्रभावशाली व्यापारी थी। उन्होंने क्रीमियाई युद्ध के दौरान एक ब्रिटिश होटल की स्थापना करवाई। इस होटल के बारे में उन्होंने कहा कि यहाँ युद्ध के मैदान पे घायल सैनिको को सहायता प्रदान की जाएगी। १९९१ में मरणोपरांत उन्हें मेरिट जमैका आदेश सम्मान प्रदान किया गया। उन्होंने हर्बल दवा का ज्ञान कैरीबियाइयों से हासिल किया। क्रीमियाई युद्ध के दौरान सहायता के लिए उनके आवेदन को अस्विकृत कर दिया गया था। बाद में अपना होटल खोलने के बाद वे स्वयं यात्रा करके युद्ध में घायल होने वाले सैनिको की सहायता करने लगी। वे सेवाकर्मियो में अत्यधिक लोकप्रिय हो गयी। आज उन्हें जातीय पूर्वाग्रह का सफलतापूर्वक सामना करने वाले के रूप में याद किया जाता है। उनकी लिखी आत्मकथा-"श्रीमती सीकॉले की अद्भुत अद्वेंतुरेस"(१८५७) शुरुआती दौर की बहुत पहली आत्मकथाओ में से एक हैं, हलाकि इसकी सटीकता के कुछ पहलुओं पर पूछताछ भी की गयी है।[१] इसके साथ ये भी दावा किया गया है कि सीकॉले की उप्लाभ्दियो को अतिरंजित कर दिया गया एक राजनितिक कारण से।
प्रारंभिक जीवन
मैरी जेन सीकॉले का जन्म किंग्स्टन में मैरी जेन ग्रांट के रूप में हुआ था।[२] उनके पिता, जेम्स ग्रांट एक स्कॉटिश[३] ब्रिटिश सेना में लेफ्टिनेंट थे और माता एक दोक्ट्रेस थी, जों पारंपरिक कैरीबियान और अफ़्रीकी हर्बल उपचार का प्रयोग करती थी तथा उनकी माँ का होटल बलंड हॉल, बोर्डिंग हाउस उस समय के सबसे बेहतरीन होटलों में से एक माना जाता है। यही पर सीकॉले ने अपनी नर्सिंग कौशल हासिल की। सीकॉले की आत्मकथा के अनुसार उन्होंने चिकित्सा में प्रयोग अपनी माँ से सीखा उनकी माँ ने उनकी बहुत मदद की।[४] सीकॉले को अपने दोनों वंशो जमैका और स्कॉटलैंड पे भाहूत गर्व था और वह खुद के लिए एक शब्द, क्रियोल का इस्तेमाल करती थी जों की नस्ली तटस्थ अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है। अपनी माँ के पास जाने से पहले सीकॉले ने अपना जीवन के कुछ साल एक बुजुर्ग महिला के साथ बिताये जिन्हें वह प्रकार आश्र्दाती बुलाती थी। वहाँ उनके साथ परिवार के सदस्यों जैसा व्यवहार किया जाता था और वहाँ उन्होंने अच्छी शिक्षा नभी प्राप्त की। स्कॉटलैंड के एक अधिकारी व एक सम्मानजनक व्यावसायिक की शिक्षित बेटी होने के रूप में उन्होंने जमैका समाज में एक उच्च स्तिथि का आयोजन किया।