मैक्यूलर एडिमा

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हमारी आंख का सबसे महत्वपूर्ण भाग रेटिना है जो कोशिकाओं की हल्की-संवेदनशील परत होती है और आँख के भीतर होती हैं।

रेटिना पर फोकस करने वाले प्रकाश को नाजुक तरीके से विस्तृत संदेश में तब्दील करने के लिए रेटिना की कई परत मिलकर काम करती है जो मस्तिष्क में विजुअल कॉर्टेक्स तक जाता है। इसमें मैक्युला अहम भूमिका निभाता है। मैक्युला रेटिना का वह हिस्सा होता है जो हमें बारीकी और विस्तार के साथ दूर की वस्तुओं और रंग को देखने में मदद करता है।

कभी- कभी रेटिना में तरल के रिसाव के कारण द्रव को अवशोषित करने की रेटिना की क्षमता प्रभावित होती है तो मेक्यूलर एडिमा हो जाता है। जैसे अगर जमीन पर अधिक बारिश होती है तो वहां कीचड़ हो जाता है और आप अतिरिक्त पानी को निकालकर पानी को सुरक्षित रख सकते हैं। इसी प्रकार जब रेटिना में तरल पदार्थ अधिक हो जाते हैं और रेटिना में सूजन आ जाती है तो इसे मैकुलर एडिमा कहा जाता है।

कारण

मैक्यूलर एडिमा पैदा करने वाले संभावित कारकों में निम्न स्थितियां शामिल हैं:

·        रक्त वाहिकाओं से अधिक तरल का रिसाव (मधुमेह और उच्च रक्तचाप)

·        आंख में इंफ्लामेशन का बढ़ना (सर्जरी, इंफ्लामेट्री रोग)

·        असामान्य रक्त वाहिकाओं की वृद्धि से संबंध (आयु से संबंधित मैक्यूलर डिजेनेरेशन)

लक्षण

मैक्यूलर एडिमा में मैक्युला की परतों में तरल पदार्थ का असामान्य जमाव हो जाता है। रेटिना में सूजन के कारण यह छवियों को विकृत करती है जिसके कारण स्पष्ट रूप से देखना अधिक मुश्किल हो जाता है। सूजन जितना अधिक व्यापक, मोटा और गंभीर होगा, व्यक्ति को उतना ही अधिक धुंधला और अस्पष्ट दिखाई देगा और उसे पढ़ने में उतनी ही अधिक कठिनाई होगी।

मैक्यूलर एडिमा का इलाज नहीं कराने पर, क्रोनिक मैक्यूलर एडिमा मैक्युला को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है और दृष्टि को भी स्थायी रूप से क्षति हो सकती है। मेक्यूलर एडिमा आम तौर पर क्षतिग्रस्त रेटिनल रक्त वाहिकाओं से अधिक रिसाव या रेटिना में गहराई में असामान्य रक्त वाहिकाओं के विकास के कारण होता है। नयी रक्त वाहिकाओं (नियोवैस्कुलराइजेशन या एनवी) में सामान्य रूप से ‘टाइट जंक्शन’ नहीं होते हैं और यह लगभग हमेशा ही रेटिना में तरल (रक्तप्रवाह से सीरम) के असामान्य रिसाव के कारण होता है।

जोखिम कारक

मैक्यूलर एडिमा कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह किसी बीमारी का परिणाम है।

मैक्यूलर एडिमा कई कारणों से हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:

·        मेटाबोलिक स्थितियां (मधुमेह)

·        रक्त वाहिका रोग (नस में अवरोध / रुकावट)

·        उम्र का बढ़ना (मैक्यूलर डिजनरेशन)

·        वंशानुगत रोग (रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा)

·        मैक्यूला पर ट्रैक्शन (मैक्यूला में छेद, मैक्युलर पकर और विट्रियोमैकुलर ट्रैक्शन)

·        इंफ्लामेटरी स्थितियां

·        विषाक्तता

·        आंख में ट्यूमर

·        ट्रामा

·        सर्जिकल कारण (नेत्र शल्य चिकित्सा के बाद)

·        अज्ञात कारण

नैदानिक परीक्षण

मेक्युलर एडिमा का मूल्यांकन करने के लिए फ्ल्यूरेसीन एंजियोग्राफी और ऑप्टिकल कॉहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी; आकृति) दो सामान्य परीक्षण हैं। इन परीक्षणों में तरल पदार्थ की उपस्थिति के आधार पर, मैक्युलर एडिमा का पता लगाया जाता है कि यह कितना व्यापक, स्थानीय, या मैक्युला के केंद्र के आस-पास के कई छोटे फफोले का बना है। यह एक सामान्य स्थिति है जो सिस्टॉइड मेक्युलर एडिमा कहलाता है।

उपचार और रोग का निदान

मैक्यूलर एडिमा के लिए सबसे प्रभावी उपचार रणनीतियों में इसके अंतर्निहित कारणों (मधुमेह, रक्त वाहिनियों में अवरोध, नियोवैस्कुलराइजेषन, इंफ्लामेशन आदि) के साथ- साथ मैक्युला में और उसके आसपास असामान्य रक्त वाहिकाओं से तरल के अत्यधिक रिसाव को ठीक करना है।

आंखों में डालने वाली दवाइयों, लेजर, और सर्जरी कई रोगों में प्रभावी हो सकती है, लेकिन उपचार का मुख्य आधार इंट्राविट्रियल इंजेक्शन (आईवीआई) है। यदि मैक्यूलर एडिमा एक ही जगह पर है तो फोकल लेजर किया जा सकता है।

आईवीआई डे केयर प्रक्रिया है जो टापिकल एनीस्थिसिया की मदद से की जाती है जिसमें दवा की बहुत थोड़ी से मात्रा को छोटी सुई के द्वारा आंखों के अंदर डाला जाता है। इंजेक्शन लगाने में सामान्यतः कोई दर्द नहीं होता है। आईवीआई को एक प्रशिक्षित रेटिना विशेषज्ञ के द्वारा कराना चाहिए जो उपचार की प्रभावकारिता पर गहराई से ध्यान देते हुए और दुर्लभ लेकिन संभावित गंभीर जटिलताओं का पता लगाकर इसे कर सके। आईवीआई को अब तक की सबसे सामान्य रूप से प्रदर्शित चिकित्सा प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है।