मुक्त व्यापार क्षेत्र
स्क्रिप्ट त्रुटि: "sidebar" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। मुक्त व्यापार क्षेत्र (अंग्रेज़ी: फ्री ट्रेड एरिया; एफटीए) को परिवर्तित कर मुक्त व्यापार संधि का सृजन हुआ है। विश्व के दो राष्ट्रों के बीच व्यापार को और उदार बनाने के लिए मुक्त व्यापार संधि की जाती है। इसके तहत एक दूसरे के यहां से आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क, सब्सिडी, नियामक कानून, ड्यूटी, कोटा और कर को सरल बनाया जाता है। इस संधि से दो देशों में उत्पादन लागत बाकी के देशों की तुलना में काफ़ी सस्ती होती है। १६वीं शताब्दी में पहली बार इंग्लैंड और यूरोप के देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि की आवश्यकता महसूस हुई थी। आज दुनिया भर के कई देश मुक्त व्यापार संधि कर रहे हैं। यह समझौता वैश्विक मुक्त बाजार के एकीकरण में मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है। इन समझौतों से वहां की सरकार को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण में मदद मिलती है। सरल शब्दों में यह कारोबार पर सभी प्रतिबंधों को हटा देता है।
इस समझौते के बहुत से लाभ हैं। हाल में भारत ने १० दक्षिण एशियाई देशों के समूह आसियान के साथ छह वर्षो की लंबी वार्ता के बाद बैंकॉक में मुक्त व्यापार समझौता किया है।[१] इसके तहत अगले आठ वर्षों के लिए भारत और आसियान देशों के बीच होने वाली ८० प्रतिशत उत्पादों के व्यापार पर शुल्क समाप्त हो जाएगा। इससे पूर्व भी भारत के कई देशों और यूरोपियन संघ के साथ मुक्त व्यापार समजौते हो चुके हैं।[२][३] यह समझौता गरीबी दूर करने, रोजगार पैदा करने और लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में काफी सहायक हो रहा है। मुक्त व्यापार संधि न सिर्फ व्यापार बल्कि दो देशों के बीच राजनैतिक संबंध के बीच कड़ी का काम भी करती है। कुल मिलाकर यह संधि व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करने और दोतरफा व्यापार को सुचारू रूप से चलाने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिशा में अमरीका-मध्य पूर्व एशिया में भी मुक्त क्षेत्र की स्थापना की गई है।[४] सार्क देशों और शेष दक्षिण एशिया में भी साफ्टा मुक्त व्यापार समझौता १ जनवरी, २००६ से प्रभाव में है। इस समझौते के तहत अधिक विकसित देश- भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका अपनी उत्पाद शुल्क को घटाकर २०१३ तक ० से ५ प्रतिशत के बीच ले आएंगे। कम विकसित देश- बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और नेपाल को भी २०१८ तक ऐसा ही करना होगा।[५] भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच भी प्रयास जारी हैं।[६]
समस्याएँ और सीमाएँ
मुक्त व्यापार क्षेत्र में कंपनियों को मानवाधिकार एवं श्रम संबंधी कानूनों से मुक्ति मिल जाती है। इसका अर्थ होता है श्रमिकों के बुनियादी अधिकारों का हनन और शोषण। वास्तव में मुक्त व्यापार क्षेत्र की अवधारणा का विकास बहुराष्ट्रीय औद्योगिक घरानों द्वारा श्रम कानूनों एवं सामाजिक और पर्यावरणिय दायित्व संबंधी कानूनों से मुक्त रहकर अपने अधिकाधिक लाभ अर्जित करने की कोशिशों का परिणाम है। इसलिए मुक्त व्यापार क्षेत्र का मानवाधिकार संगठनों, पर्यावरणवादियों एवं श्रम संगठनों द्वारा प्रायः विरोध किया जाता है।
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ भारत-जापान एफटीए साल के अंत तक। नवभारत टाइम्स]]।२२ अक्टूबर, २००८।टोक्यो
- ↑ भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता तेज हो : ईयू स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।।२७ मार्च,२००९। इंडो एशियन न्यूज़ सर्विस। एनडीटीवी।
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web