मिरि जियोरी
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Miri Jiyori | |
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लेखक | रजनीकांत बोरदोलोई |
देश | असम, भारत |
भाषा | असमिया |
प्रकार | उपन्यास |
प्रकाशन तिथि | 1894 |
उत्तरवर्ती | मनोमोति (1900) |
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मिरि जियोरी ( साँचा:langWithNameNoItals ; वस्तुतः: मेरी बेटी) एक असमिया उपन्यास है जो रजनीकांत बोरदोलोई द्वारा लिखा गया है। [१] यह पुस्तक तत्कालीन समसामयिक मिसिङ् समाज के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं और उनके रीति-रिवाजों और परंपराओं की एक श्रृंखला का खुलासा करती है। यह एक साधारण प्रेम कहानी पर आधारित एक सामाजिक उपन्यास है । [२] [३] [४]
कहानी की समीक्षा
मिरि जियोरी (1894) रजनीकांत बोरदोलोई द्वारा लिखित एक प्रेम कहानी है जो मिरी (जिसे अब मिसिं कहा जाता है) समुदाय के समाज से सम्बन्धित है। अपूर्ण प्यार के बारे में एक भावुक कहानी प्रस्तुत करती यह उपन्यास, उस समय लिखा गया था जब साहित्यिक रूप में उपन्यास एक नवजात अवस्था में था। बचपन से साथ पले बढे एक मिसिं दम्पति का इस उपन्यास मे अत्यंत सहानुभूति के साथ वर्णन किया गया है।
पात्र
- पानोइ
- जौंकि
- निरौमा (पानोइ की माँ)
- तामेद (पानोइ के पिता)
- कोमुद
- दालिमि