मिन्टो पार्क, प्रयागराज
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प्रयागराज में स्थित सफेद पत्थर के इस मैमोरियल पार्क में सरस्वती घाट के निकट सबसे ऊंचे शिखर पर चार सिंहों के निशान हैं। लार्ड मिन्टो ने इन्हें 1910 में स्थापित किया था। 1 नवम्बर 1858 में लार्ड कैनिंग ने यहीं रानी विक्टोरिया का लोकप्रिय घोषणापत्र पढा था तथा शाही दरबार लगाया गया । इससे पूर्व ब्रिटेन की संसद में 2 अगस्त 1858 को लार्ड स्टेनले ने भारतीय अधिनियम को संसद के समक्ष रखा। इस बिल के तहत भारत मे सत्ता का हस्तांतरण ईस्ट इंडिया कंपनी सेे ब्रिटेन की महारानी को किया गया ।
1858 के अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्न थे -
• उद्घोषणा में सभी भारतीय राजाओं के अधिकारों के सम्मान वादा किया गया और भारत में ब्रिटिश क्षेत्रों के विस्तार पर रोक लगा दी गयी|
• इसमें लोगों के प्राचीन अधिकारों व परम्पराओं आदि के सम्मान और न्याय,सद्भाव व धार्मिक सहिष्णुता की नीति का अनुसरण करने का वादा किया गया|
• इसमें घोषित किया गया कि प्रत्येक व्यक्ति ,जाति और धर्म के भेदभाव के बिना,केवल अपनी योग्यता और शिक्षा के आधार पर प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश पाने का हक़दार होगा|
• घोषणा में एक तरफ राजाओं को सुरक्षा का आश्वासन दिया गया तो दूसरी तरफ मध्य वर्ग से भी विकास हेतु अवसरों को उपलब्ध कराने का वादा किया|
लेकिन धीरे धीरे यह साबित हो गया कि जिस अवसर की समानता की बात उद्घोषणा में की गयी उसे लागू नहीं किया गया| भारत की प्राचीन परम्पराओं के प्रति सम्मान के नाम पर ब्रिटिशों ने सामाजिक बुराइयों को संरक्षण देने की नीति अपना ली| अतः विदेशी शासकों द्वारा सामाजिक सुधारों की ओर बहुत ही कम ध्यान दिया गया और जब भी भारतीय नेताओं ने इन सुधारों की मांग की तो उनका विरोध किया गया|
1858 ई. के बाद भारतीयों के हितों को पुनः ब्रिटेन के हितों के अधीनस्थ बना दिया गया| ब्रिटेन व अन्य साम्राज्यवादी ताकतों के संघर्ष में भारत का उपयोग ब्रिटेन के आर्थिक हितों की पूर्ति के माध्यम के रूप में किया गया| भारत के संसाधनों का प्रयोग विश्व के अन्य भागों में ब्रिटिश साम्राज्य के हितों की पूर्ति और अन्य देशों के विरुद्ध चलाये गए महंगे युद्धों की पूर्ति हेतु किया गया|
निष्कर्ष - महारानी विक्टोरिया द्वारा की गयी उद्घोषणा 1857 ई. के विद्रोह का परिणाम थी और इस उद्घोषणा में यह विश्वास दिलाया गया कि भारतीय लोगों के साथ जाति,धर्म,रंग और प्रजाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा| इसमें भारतीय राजाओं को भी यह विश्वास दिलाया गया की उनकी प्रतिष्ठा,अधिकार और गरिमा का सम्मान किया जायेगा और उनके अधीनस्थ क्षेत्रों पर किसी तरह का अतिक्रमण नहीं किया जायेगा|