मार्था फैरल
मार्था फैरल | |
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जन्म |
५ जून, १९५९ नई दिल्ली |
मृत्यु |
१३ मई, २०१५ (उम्र ५५ वर्ष) काबुल, अफ़ग़ानिस्तान |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
नागरिकता | भारत |
शिक्षा | अंडर-ग्रेजुएशन, सोशल वर्क में पॉट-ग्रेजुएशन, पीएचडी |
शिक्षा प्राप्त की |
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व्यवसाय | निदेशक, प्रिया |
जीवनसाथी | राजेश टंडन |
बच्चे | सुहेल फैरल टंडन, तारिका फैरल टंडन |
मार्था फैरल एक नागरिक सामाजिक कार्यकर्ता थी। वो भारत और विदेशो में अपने काम को लेकर प्रसिद्ध थी । उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता और व्यस्क शिक्षा के लिए बहुत काम किया है । वह 13 मई २०१५ को काबुल, अफगानिस्तान में एक गेस्ट हाउस पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए 14 लोगों में से एक थी । वह हमले के समय काबुल में आगा खान फाउंडेशन के साथ एक लिंग प्रशिक्षण कार्यशाला का नेतृत्व कर रही थीं ।[१][२][३][४]
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मार्था का जन्म 5 जून, १९५९ को लोना और नोयल फैरल के घर, दिल्ली में हुआ था । उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया, और दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क में सामाजिक कार्य में पोस्ट ग्रेजुएशन की । उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया से २०१३ में पीएचडी पूरी की । [४]
व्यवसाय
उन्होंने १९८१ में, दिल्ली में महिला साक्षरता और सशक्तिकरण के लिए काम कर रहे एक गैर-सरकारी संस्थान अंकुर में साक्षरता कार्यकर्ता के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की । उन्होंने वयस्क शिक्षा की और अपना ध्यान केंद्रित किया, जहां पर उन्होंने पार्टिसिपेटरी लर्निंग पद्धति को अभ्यास में लाना शुरू किया । मार्था के अनुसार भागीदारी जीवन का एक अहम हिस्सा है, जिसे हमें अपनाना चाहये ।१९९१ में, उन्होंने क्रिएटिव लर्निंग फॉर चेंज नामक एक संस्था की नींव रखी। इसमें, एक गैर-औपचारिक संदर्भ में, छात्रों, शिक्षकों और फसिलिटटोरों के लिए शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाती थी, ताकि शिक्षा एक रचनात्मक ढंग से हो सके।
मार्था १९९६ में, औपचारिक रूप से पार्टिसिपेटरी रिसर्च इन एशिया (प्रिया) से जुड़ी। प्रिया, उनके पति, डॉ राजेश टंडन द्वारा स्थापित किया हुआ है । वे प्रिया की जेंडर मुख्यधारा प्रोग्राम की निदेशक थी और इसके तहत, उन्होंने हज़ारो की तादात में ज़मीनी महिला लीडरों को प्रशिक्षित किया था । उन्होंने महिलाओं के जीवन के रोज़ के महत्वपूर्ण पहलू, जैसे कि स्थानीय शासन में नागरिक भागीदारी, जेंडर मुख्यधारा और यौन उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों पर जागरूक किया । २००५ के बाद से, उन्होंने प्रिया के डिस्टेंस एजुकेशन पर हो रहे काम को बढ़ाया और साथ ही प्रिया इंटरनेशनल अकादमी को बनाया और बढ़ाया। उन्होंने विक्टोरिया विश्वविद्यालय और रॉयल रोड कनाडा विश्वविद्यालय में अंश कालिक (पार्ट टाइम) तौर पे पढ़ाया भी है । मार्था ने १९९८ में, संस्थानों में लैंगिक मुख्यधारा को लेकर काम शुरू किया, जब कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए विशाखा दिशानिर्देश भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए थे ।
पुस्तकें
उन्होंने २०१४ में, यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर पहली भारतीय पुस्तक प्रकाशित की । इस पुस्तक का शीर्षक "एनजेंडरिंग द वर्कप्लेस: ए स्टडी ऑफ जेंडर डिस्क्रिमिनेशन एंड सेक्सुअल हरासमेंट इन सिविल सोसाइटी आर्गेनाईजेशन" है ।
यह पुस्तक कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर आगे काम करने के इच्छुक लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण है । उन्होंने वयस्क शिक्षा, पर्यावरण, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, लिंग मुख्यधारा, और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर कई अन्य किताबें लिखी हैं । [५]
व्यक्तिगत
मार्था ने प्रिया को एक ख़ुशनुमा और आरामदायक जगह बनाने में अद्भुत योगदान दिया । वो सभी कर्मचारियों और आगंतुकों का स्वागत करती थी, ताकि प्रिया सीखने और सीखाने की एक खूबसूरत जगह बनी रहे ।
मार्था सबको साथ लेके चलती थी और ये उनके कई विशेषताओं में से एक थी। वह एक विचारशील दोस्त थी और बेहद संवेदनशील थी। उनको दूसरों को तोहफा देना और अच्छा खाना खिलाना बहुत पसंद था । उनका घर हमेशा अतिथियों और उनकी हँसी से भरा होता था और इतना भोजन होता था कि, शायद ही कोई खत्म कर पाए ।
विरासत
मार्था के विचार और काम को आगे ले जाने के लिए, मार्था फैरल फाउंडेशन की स्थापना की गई है। इसका लक्ष्य भारत के साथ साथ, दुनिया भर में लैंगिक समानता हासिल करना है । फाउंडेशन, लैंगिक मुख्यधारा, लैंगिक समानता, महिलाओं के प्रति यौन उत्पीडन और हिंसा को रोकना और सतत शिक्षा से सम्बंधित लक्षित और व्यावहारिक हस्तक्षेपों का समर्थन करती है । [२][६]
पुरस्कार
नवंबर २०१८ में, नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स इन इंडिया (NAPSWI) ने मार्था को मरणोपरांत "लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार" से सम्मानित किया । यह पुरस्कार उनके पुत्र सुहैल फैरल टंडन ने छठ्ठी नेशनल सोशल वर्क कांग्रेस में लिया, जोकि दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित की गई थी ।