मातृवंश समूह ऍल२

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उत्तर-मध्य अफ़्रीका के चाड देश के लोग अक्सर मातृवंश समूह ऍल२ के वंशज होते हैं

मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह ऍल२ या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप L2 एक मातृवंश समूह है। इस मातृवंश की उपशाखाएँ अफ़्रीका के पश्चिमी, उत्तरी ओर पूर्वी हिस्सों में कई स्थानों पर ओर कई समुदायों में मिलती हैं। चाड देश के लगभग ३८% लोग इसके वंशज हैं, लेकिन यह बहुत से और देशों में भी मिलता है। अनुमान है के जिस नारी से यह मातृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग ६८,१०० से १११,१०० वर्ष पहले जीवित थी। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है के वह पूर्वी अफ़्रीका की निवासी थी, लेकिन इस को लेकर वैज्ञानिकों में काफ़ी आपसी मतभेद है।[१]

अन्य भाषाओँ में

अंग्रेज़ी में "वंश समूह" को "हैपलोग्रुप" (haplogroup), "पितृवंश समूह" को "वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप" (Y-chromosome haplogroup) और "मातृवंश समूह" को "एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप" (mtDNA haplogroup) कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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