माझी जाति

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माझी जाति का तात्पर्य नाव चलाने वाले से है। मल्लाह, केवट, नाविक,निषाद इसके पर्यायवाची हैं। ये विश्वास करते हैं कि इनके पूर्वज पहले गंगा के तटों पर या वाराणसी अथवा इलाहाबाद में रहते थे। बाद में यह जाति मध्य प्रदेश के शहडोल =(((sidhi}}, रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर,जबलपुर और टीकमगढ़ ज़िलों में आकर बस गयी। सन 1981 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में माझी समुदाय की कुल जनसंख्या 11,074 है। इनके बोलचाल की भाषा बुन्देली है। ये देवनागरी लिपि का उपयोग करते हैं। ये सर्वाहारी होते हैं तथा मछली, बकरा का गोश्त खाते हैं। इनका मुख्य भोजन चावल, गेहूँ, दाल, सरसों, तिली आदि महुआ के तेल से बनाते हैं। इनके गोत्र कश्यप, सनवानी, चौधरी, तेलियागाथ, कोलगाथ हैं। वर्तमान में या संपूर्ण मध्यप्रदेश में पाई जाने लगी है। अनुसूचित जनजाति को क्रमांक 29 में रखा गया है। इनमें से कुछ बिहार में भी हैं।

प्रमुख व्यक्ति

सिंगर( कुमार नीतीश मांझी)आने वाला है।

विस्तृत पाठन

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