माइक्रोडर्मबरसन
माइक्रोडर्मबरसन (अंग्रेज़ी: Microdermabrasion) एक हल्के प्रकार की कृत्रिम कायिक चिकित्सा है जिसमें अधिचर्म से मृत त्वचा कोशिकायों की सबसे बाहरी परत की खाल उतरने के कार्य को एक यांत्रिक प्रक्रिया के द्वारा संपन्न किया जाता है। सामान्यतः इस प्रक्रिया में दो भाग होते हैं :- एक अपपर्णन (खाल उतारने की क्रिया) पदार्थ जैसे कि क्रिस्टल अथवा हीरे की कनी और एक चूषण यंत्र जिसके द्वारा खाल उतारने की क्रिया के दौरान त्वचा को कोमलता के साथ उठाया जाता है।
यह एक बिना चीड़-फाड़ वाली प्रक्रिया है जिसे एक त्वचा की देखभाल करने वाले विशेषज्ञ[१] द्वारा अपने कार्य स्थल में हीं संपन्न किया जा सकता है। यह प्रक्रिया त्वचा के अपपर्णन की क्रिया को यांत्रिक रूप से करने हेतु बनाए गये कुछ विशेष प्रकार के उत्पादों के साथ घर पर भी की जा सकती है। [२] सैलून में इस कार्य में प्रयोग किए जाने वाले कई सारे यंत्रो में त्वचा को रगड़ने वाले उपकरण में समायोजित किए जाने वाले चूषक लगे होते हैं। हाल-फिलहाल में यह सुविधा कई घरेलू उपयोग वाले यंत्रो में भी पायी जाने लगी है।
आम तौर पर इस प्रक्रिया में किसी तरह की सुई अथवा बेहोश करने वाली द्वा की आवश्यकता नहीं होती. त्वचा की सहनशीलता और संवेदनात्मक क्षमता के आधार पर वॅक्यूम प्रेशर और गति को समायोजित किया जाता है। माइक्रोडर्मबरसन के दौरान अक्सर बिल्ली द्वारा त्वचा को चाटने जैसा एहसास होने का उल्लेख कई बार किया जाता है। सामान्य तौर पर माइक्रोडर्मबरसन के एक सत्र में ५ से ६० मिनट तक का समय लगता है। इस प्रक्रिया के बाद किसी तरह के आराम की कोई ज़रूरत नहीं होती और ज़्यादातर लोग के सत्र के माइक्रोडर्मबरसन तुरंत बाद ही अपने दैनिक गतिविधियों में लग जाते हैं। [३]
माइक्रोडर्मबरसन संयत्र
परंपरागत रूप से माइक्रोडर्मबरसन के क्रिस्टल संयत्र में एक पंप, एक जोड़ने वाली नली, एक हॅंड पीस, और एक वॅक्यूम श्रोत लगा होता है। पंप के द्वारा त्वचा को रगड़ने के लिए अक्रिय क्रिस्टल - जैसे कि अल्यूमिनियम ऑक्साइड, मॅग्नीज़ियम ऑक्साइड, सोडियम क्लॉराइड, ओर सोडियम बाइकार्बनेट - की एक उच्च-दवाब वाली धारा उत्पन्न की जाती है और वॅक्यूम क्रिस्टल को हटा कर त्वचा कोशिकायों का अपपर्णन करता है।
विकल्प के तौर पर अक्रिय किस्टल को हीरे के कोने के रूखड़े परत वाले संयत्र के द्वारा भी बदला जा सकता है। [४]
हीरे वाले माइक्रोडर्मबरसन संयत्र का एक फ़ायदा यह है कि इसके प्रयोग के द्वारा क्रिस्टल के अत्यंत महीन कण की उत्पत्ति को रोका जा सकता है। कई बार ये कण आँख अथवा नाक में घुस जाते है जिससे समस्या हो सकती है। इसी कारण आंखो और मुँह के आसपास माइक्रोडर्मबरसन की क्रिया के लिए हीरे वाले प्रक्रिया को ही उच्च-सुरक्षा वाला माना जाता है। सामान्यतः माइक्रोडर्मबरसन हॅंड पीस की त्वचा के विरुढ़ गति जितनी धीमी होती है और त्वचा के ऊपर इसके जितने ज़्यादा चक्कर लगते हैं त्वचा का उतना ही बढ़िया उपचार होता है।
दुष्प्रभाव
माइक्रोडर्मबरसन उपचार का न के बराबर (अथवा बहुत कम) दुष्प्रभाव होता है, ना ही इसके कारण और कोई जटिलता उत्पन्न होती है। फिर भी कुछ मरीजों में अस्थाई तौर पर त्वचा का हल्का सुखापन, सूर्य की किरणों के प्रति अति संवेदनशीलता हो सकती है। उपचार की गयी त्वचा में अस्थाई तौर पर खरोंच और नीले निशान पड़ने की संभावना अत्यंत ही दुर्लभ मामलो में पायी जाती है।
सन्दर्भ
- ↑ फ्रीडमन ब्रूस, ृेडा-पेड्राज़ा इ, वड्डेल्ल एस. "द एपिडर्मल एंड डर्मल चंगेज़ एसोसिएटेड विथ मिक्रोडर्माब्रेशन." डर्माटोलोगिक सर्जरी २७ (२००१):१०३१-१०३४.
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ करीमीपूर, डेरियस जे. (अक्टूबर २००९). "मॉलिक्यूलर एनालिसिस ऑफ़ एग्रेसिव मिक्रोडर्माब्रेशन इन फोटोआगेड स्किन". जमा आर्काइव्ज ऑफ़ डर्मेटोलॉजी. १४५: १११४–२२. Archived from the original on 4 मार्च 2016. Retrieved ४ मार्च २०१६.
"द सिस्टम डिफ़्फेरस फ्रॉम स्टैण्डर्ड मिक्रोडर्माब्रेशन सिस्टम्स दाट उसे एलुमिनियम ऑक्साइड क्रिस्टल्स अस कोरन्डम. द सिस्टम उसेस अ हंडपीएस दाट हाज डायमंड फ़्रैगमेन्ट्स एम्बेडेड इन द कांटेक्ट पॉइंट ऑफ़ द वंड विथ द स्किन. द वंड'स रौग़नेस्स इस कंट्रोल्ड बाय द साइज ऑफ़ द डायमंड पार्टिकल्स अत द कांटेक्ट पॉइंट".
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