महेंद्र सिंह (सैनिक)
सूबेदार मेजर ओर सम्मानित कैप्टन महेंद्र सिंह, केसी, एसएम ९ पैरा एसएफ के एक सम्मानित भारतीय सेना के अवसर प्राप्त अधिकारी हैं। ऑपरेशन के दौरान उनके शरीर के एक तरफ लकवा मार गया था। [१] [२]
सैन्य वृत्ति
२१ अक्टूबर १९९० को झुंझुनू के डुमरा गांव के महेंद्र सिंह स्पेशल फोर्सेज ९ वीं बटालियन द पैराशूट रेजिमेंट में शामिल हुए। सूबेदार सिंह का करियर भारतीय सेना में बीस साल से अधिक समय तक चला। उन्होंने कई अभियानों में कट्टर आतंकवादियों के साथ कई मुठभेड़ों में भाग लिया। [३]
२ सितंबर २०१५ की रात ६ आरआर बटालियन की ऑपरेटिव टीम कुपवाड़ा के जंगलों में चार आतंकियों को खंगाल रही थी। आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इससे दो आतंकवादी मारे गए। इस दौरान कई गोलियां सूबेदार महेंद्र सिंह की आंत और रीढ़ में जा लगीं। रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण भले ही उन्हें लकवा मार गया हो, लेकिन उन्होंने आतंकवादी को मार गिराया। उनके घायल साथी को बहादुरी से बचा लिया गया। [४]
सेना पदक
सिंह को स्वतंत्रता दिवस २०१३ में आतंकवादियों से निपटने के लिए सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया था। २०१३ में, उनहोंने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करने वाले पाकिस्तान के नियमित सेना के एक जवान को मार गिराया था। [५]
कीर्ति चक्र
गणतंत्र दिवस, २०१६ पर सूबेदार सिंह को २ सितंबर २०१५ को उनके वीरतापूर्ण कार्य के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। [६]
२ सितंबर २०१५ की रात, सूबेदार महेंद्र सिंह को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के दरेल जंगल में आतंकवादियों और उनकी टीम के बीच भारी गोलीबारी की सूचना मिली। उन्होंने यह भी बताया कि गोलीबारी के दौरान दो सैनिकों को दुश्मन की गोलियां लगीं और वे बुरी तरह घायल हो गए। यह खबर सुनने के बाद सूबेदार महेंद्र सिंह और लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी अपने साथियों को छुड़ाने गए, जो अभी भी आतंकवादियों से लड़ रहे थे। [७] जब वे मौके पर पहुंचे तो आतंकी की ओर से जोरदार फायरिंग हुई। तुरंत सूबेदार महेंद्र सिंह ने जवाबी फायरिंग की और एक आतंकवादी को अपनी जान जोखिम में डालकर मार गिराया। इस घटना के बाद से उन्हें आतंकवादी समूह की ओर से भारी गोलाबारी का सामना करना पड़ रहा था। सूबेदार सिंह ने अपने साथियों को बचाने के लिए बाकी आतंकियों को मार गिराने की ठानी। दुर्भाग्य से उनके पेट में चोट लग गई, जिसके परिणामस्वरूप वे पैर की उंगलियों से लेकर कमर तक लकवाग्रस्त हो गए। इस हालत में उन्होंने पॉइंट ब्लैंक रेंज में एक और आतंकवादी को मार गिराया। उनकी प्रेरणा के बाद लांस नायक मोहन गोस्वामी ने जाकर शेष आतंकवादियों को मार गिराया। [८]
इस ऑपरेशन में लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी शहीद हो गए और सूबेदार महेंद्र सिंह आधा शरीर लकवाग्रस्त हो गए। [९]
साहसी कार्य, वीरता और सर्वोच्च बलिदान के लिए लांस नायक गोस्वामी को देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र [१०] और सूबेदार महेंद्र सिंह को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। [११] [१२]
संदर्भ
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