मसाला (चिनाई)
चिनाई का मसाला सामग्रियों की उस लेई या मिश्रण को कहते हैं जिसे किसी इमारत के निर्माण में ईंट, पत्थरों या अन्य चीज़ों को आपस में जोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस मसाले की विशेषता है कि जब इसे बनाया जाता है तो यह एक लेई (पेस्ट) के रूप में होता है जिसे ईंटो के बीच डाला जा सकता है लेकिन सूखने पर यह एक सख़्त पत्थरनुमा रूप ले लेता है। आधुनिक काल में मसाला रेत, सीमेंट और चूने (लाइम) को पानी के साथ मिलकर बनाया जाता है।
अन्य भाषाओँ में
चिनाई के मसाले को अंग्रेज़ी में "मोरटर" (mortar) कहा जाता है। फ़ारसी और अरबी में इसे "मलात" (ملاط) कहा जाता है। कुछ हिन्दीभाषी क्षेत्रों में इसे "खल्ल" भी कहा जाता है।
प्राचीन मसाले
भारतीय उपमहाद्वीप में चिनाई के मसाले बनाने की तकनीकें बहुत प्राचीनकाल से विकसित हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता में कई प्रकार के मसाले इस्तेमाल किए जाते थे। मोएन जोदड़ो के खंडहर शहर में सन् २६०० ईसापूर्व से भी पुराने चिनाई के मसाले का प्रयोग मिलता है। कुओं और नालियों को बनाने के लिए यहाँ हलकी भूरी रंग की खरिया मिटटी (हरसौंठ या जिपसम) का मसाला इस्तेमाल होता था जो रेत, मुल्तानी मिटटी, चूना और कैल्शियम कार्बोनेट मिलकर बनाई जाती थी। मोहन जोदड़ो के महास्नानघर में प्रयोग होने वाले मसाले में डामर (बिटुमन) भी मिलाया गया था जो पानी चूने से रोकता है।[१][२]