मधु लिमये
मधु लिमये (1 मई 1922 - 1995) भारत के समाजवादी विचारों के निबन्धकार एवं कार्यकर्ता थे जो १९७० के दशक में विशेष रूप से सक्रिय रहे। वे राममनोहर लोहिया के अनुयायी एवं रामसेवक यादव व जार्ज फर्नांडीज के सहकर्मी थे। वे जनता पार्टी के शासन में आने के समय बहुत सक्रिय रहे थे। मधु लिमये आधुनिक भारत के उन विशिष्टतम व्यक्तित्वों में से एक थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में पुर्तगालियों से गोवा को मुक्त कराकर भारत में शामिल कराने में अहम भूमिका अदा की। गोवा आज भारत का हिस्सा है, तो इसमें डॉ. राम मनोहर लोहिया और उनके शिष्य मधु लिमये का भी प्रमुख योगदान है।
मधु लिमये का जन्म 1 मई 1922 को महाराष्ट्र के पूना में हुआ था। कम उम्र में ही उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद, मधु लिमये ने 1937 में पूना के फर्ग्युसन कॉलेज में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया और तभी से उन्होंने छात्र आन्दोलनों में भाग लेना शुरू कर दिया। इसके बाद वह राष्ट्रीय आंदोलन और समाजवादी विचारधारा के प्रति आकर्षित हुए। 1950 के दशक में गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लिया, जिसे उनके नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने 1946 में शुरू किया था। उपनिवेशवाद के कट्टर आलोचक मधु लिमये ने जुलाई 1955 में एक बड़े सत्याग्रह का नेतृत्व किया और गोवा में प्रवेश किया। पुर्तगाली पुलिस ने सत्याग्रहियों पर हमला किया। पुलिस ने मधु लिमये की भी बेरहमी से पिटाई की। उन्हें पांच महीने तक पुलिस हिरासत में रखा गया था। दिसंबर 1955 में पुर्तगाली सैन्य न्यायाधिकरण ने उन्हें कठोर कारावास की सजा सुनाई, लेकिन मधु लिमये ने न तो कोई बचाव पेश किया और न ही अपील की। जब वे गोवा की जेल में थे तो उन्होंने लिखा था कि 'मैंने महसूस किया है कि गांधीजी ने मेरे जीवन को कितनी गहराई से बदल दिया है। उन्होंने मेरे व्यक्तित्व और इच्छा शक्ति को कितनी गहराई से आकार दिया है।'
पुर्तगाली हिरासत से छूटने के बाद भी मधु लिमये ने गोवा की मुक्तिके लिए जनता को एकजुट करना जारी रखा, विभिन्न वर्गों से समर्थन मांगा तथा भारत सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए आग्रह किया। जन सत्याग्रह के बाद भारत सरकार गोवा में सैन्य कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुई। इस तरह गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ। दिसंबर 1961 में गोवा आजाद हो भारत का अभिन्न अंग बना।
गोवा मुक्ति आंदोलन के दौरान मधु लिमये ने पुर्तगाली कैद में 19 माह से अधिक का समय बिताया। इस कैद के दौरान उन्होंने एक जेल डायरी लिखी, जिसे उनकी पत्नी श्रीमती चम्पा लिमये ने एक पुस्तक 'गोवा लिबरेशन मूवमेंट एंड मधु लिमये' के रूप में 1996 में प्रकाशित किया।
संक्षिप्त बीमारी के बाद 72 वर्ष की आयु में 8 जनवरी 1995 को मधु लिमये का नई दिल्ली में निधन हो गया।
मधु लिमये ने 1982 में सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी में सौ से अधिक पुस्तकें लिखीं। वे लोकसभा में अपने प्रदर्शन की तरह अपने विपुल लेखन में भी तार्किक, निर्णायक, निर्भीक और स्पष्ट रूप से तथ्यों को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से पेश किया। हालाँकि वे 1982 से सक्रिय राजनीति से अलग थे लेकिन उन्होंने अपने कई लेखों के माध्यम से राष्ट्र के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास से संबंधित मुद्दों पर अपनी चिन्ता जारी रखी।
स्वतंत्रता आंदोलन में सराहनीय योगदान के लिए मधु लिमये को भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सम्मान पेंशन की पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने इसे विनम्रता के साथ अस्वीकार कर दिया। उन्होंने संसद के पूर्व सदस्यों को दी जानेवाली पेंशन को भी स्वीकार नहीं किया। मधु लिमये एक प्रतिबद्ध समाजवादी के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे जिन्होंने निःस्वार्थ और बलिदान की भावना के साथ देश की सेवा की।
कृतियाँ
हिन्दी में
- आत्मकथा
- सरद्र पटेल – सुव्यवस्थित राज्य के प्रणेता
- बाबा साहेब अंबेडकर - एक चिन्तन
- संक्रमणकालीन राजनीति
- धर्म और राजनीति
- राष्ट्रपति बनाम प्रधानमन्त्री
- स्वतंत्रता आन्दोलन की विचारधारा
- Samasyein Aur Vikalp Marxvaad Aur Gandhivaad
- आरक्षण की नीति
- भारतीय राजनीति के अन्तर्विरोध
- भारतीय राजनीति का संकट
- सार्वजनिक जीवन में नैतिकता का लोप
- अगस्त क्रान्ति का बहुआयामी परिदृश्य
- अयोध्या – वोट बैंक की बिध्वंसक राजनीति
- कम्युनिस्ट पार्टी : कथनी और करनी
- महात्मा गाँधी – राश्ःत्रपिता क्यों कहते हैं
- राजनीति की शतरंज – वीपी से वीपी तक , भारतीय राजनीति का नया मोड़
- आपातकाल : सांवैधानिक अधिनयकवाद का प्रशस्त पथ
- चौखम्भा राज – एक रूपरेखा
मराठी में
- त्रिमन्त्री योजना
- Communist Zahirnamyachi Shambhar Varshey
- Pakshantar Bandi? Navhey Aniyantrit Neteshahichi Nandi
- Swatantraya Chalvalichi Vichardhara
- Communist Paksachey Antrang
- Samajwad Kaal, Aaj Vva Udya
- चौखम्भा राज्य
- राष्ट्रपिता
- डॉक्तर अम्बेडकर - एक चिन्तन
- Pech Rajakaranatale
- आत्मकथा
अंग्रेजी में
- Where is the left going?
- Tito's Revolt against Stalin
- Communist Party: Facts and Fiction
- Socialist Communist Interaction in India
- Evolution of the Socialist Policy
- Political Horizons
- Indian Polity in Transition
- India and the World
- Madhu Limaye on Famous Personalities
- Galaxy of Indian Socialist Leaders
- The Age of Hope: Phases of the Socialist Movement
- Politics After Freedom
- The Sino-Indian War: Its Historical and International Background
- Goa Liberation Movement and Madhu Limaye
- Manu, Gandhi, Ambedkar and other Essays
- Religious Bigotry: A Threat to the Ordered State
- Parliament, Judiciary, and Parties – An Electrocardiogram of Politics
- Janata Party Experiment – Part I & II
- Limits to Authority
- Political Controversies and Religious Conflicts in Contemporary India
- Decline of a Political System
- Indian Politics at Crossroads
- Mahatma Gandhi and Jawaharlal Nehru: A Historic Partnership 1916–1948 (Vol. I—Vol. IV)
- Cabinet Government in India
- Problems of India's Foreign Policy
- Indian National Movement: Its ideological and Socio-Economic Dimensions
- Decline of a Political System: Indian Politics at Crossroads
- Birth of Non-Congressism: Opposition Politics (1947–1975), Musings on Current Problems and Past Events
- Contemporary Indian Politics
- President Vs Prime Minister
- Prime Movers: Role of the Individual in History
- Barren Path
- Four Pillar State
- The New Constitutional Amendments
- A Self Liquidating Scheme for Reservation
- Supreme Court's Decision on Backward Class Reservation
- August Struggle – An Appraisal of Quit India Movement
- Dear Popat
- Last Writings
- Madhu Limaye in Parliament (A Monograph on Madhu Limaye containing many of his important speeches in Lok Sabha, Published by Lok Sabha Secretariat – Parliament of India).