मणीन्द्रनाथ नायेक
मणीन्द्रनाथ नायेक | |
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जन्म |
साँचा:birth date [चन्दननगर]], हुगली जिला, भारत |
मृत्यु |
साँचा:death date and age |
व्यवसाय | क्रान्तिकारी |
मणीन्द्रनाथ नायेक (३० जून १८९७ बंगाब्द - २८ दिसंबर १९८२ बंगाब्द) एक भारतीय क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे।
प्रारंभिक जीवन
मणीन्द्र का जन्म ब्रिटिश भारत के हुगली जिले के चंदननगर में उनके मामा के घर हुआ था। उनके पिता का नाम भूषण चंद्र नायक था। मणीद्र नाथ चंदननगर के पहले विज्ञान स्नातक थे। उन्होंने 1913 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीएससी पास किया लेकिन पुलिस रिपोर्ट के कारण एम.एससी करने के लिए प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश नहीं कर सके। [१]
क्रांतिकारी गतिविधियां
वे छात्र जीवन से ही क्रांतिकारी राजनीति और गुप्त समाज के सदस्य के प्रति आकर्षित थे। [२] नायक ने मानिकतला षडयंत्र केस से पहले ही नारियल के खाली खोल में विस्फोटक डालकर बम बनाना सीख लिया था। उसके बाद रिपन कॉलेज, कलकत्ता के प्रोफेसर श्री सुरेश चंद्र दत्त ने उन्हें उन्नत विस्फोटक तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया। रासबिहारी बोस ने 1912 में उनके द्वारा तैयार बम लाहौर और दिल्ली भेजे। १९१२ में लॉर्ड हार्डिंग को घायल करने वाले बसन्त कुमार विश्वास ने जिस बम का इस्तेमाल किया था, वह इन्हीं के द्वारा बनाया गया था। चूंकि वह एक फ्रांसीसी क्षेत्र चंदननगर के निवासी थे, इसलिए ब्रिटिश पुलिस उसे कभी गिरफ्तार नहीं कर सकी। नायेक ने रोडा कंपनी के हथियार चोरी में एकत्रित हथियारों की भी देखभाल की। [१]
1919 में वे फ्रांसीसी भारत विधान सभा के सदस्य बने और 1920 में पांडिचेरी सम्मेलन में गए। नायेक ने श्री अरबिंदो के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध विकसित किए और उनके साथ नियमित सम्पर्क बनाए रखा। वे प्रवर्तक संघ द्वारा आयोजित सामाजिक कार्यों से भी जुड़े और मोतीलाल राय द्वारा शुरू की गई प्रवर्तक पत्रिका के संपादक बने।
सन्दर्भ