मज़ार-ए-क़ायद
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मज़ार-ए-क़ायद पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना का अंतिम आरामगाह है, जो पाकिस्तान के वाणिज्यिक राजधानी कराची के मध्य में स्थित है। इस मक़बरे को अकसर कराँची की पहचान के रूप में भी देखा जाता है। इसका निर्माणकार्य 1960 के दशक में पूरा हुआ था। यह जगह आम तौर पर शांत रहते है और इस लिहाज़ से यह चिंतनशील बात है की यह एक महानगर के केंद्र में होते हुए भी बिलकुल सांत वातावरण प्रदान करता है। उंचे पटल पर होने के कारण, इसके गुंबद को कई मील दूर से ही देखा जा सकता है। इसमें में पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री श्री लियाकत अली खान और जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना भी जिन्नाह् के साथ दफन हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवसों पर या अन्य विशेष अवसरों पर यहाँ विशेष आयोजनों भी की जाती है। राजकीय दौरे पर पाकिस्तान आए विदेशी राजनीतिज्ञ और कई अवसरों पर अन्य उच्च अधिकारी भी इस मज़ार पर अपने सदभावन पेश करने, यहाँ की यात्रा करते हैं। पाकिस्तान में इसे को "क़ौमी मज़ार"(राष्ट्रीय तीर्थ) का दर्जा दिया गया है(इस संदर्भ में यह, कुछ हद तक, भारत में राजघाट का जोड़ीदार है)।
वास्तुकला
मज़ार-ए-क़ायद के निर्माण का प्रमुख वास्तुकार एवं डिजाइन करने वाले, जॉन मर्चेन्ट थे। यह "मज़ार" 54 एकड़ परिसर के क्षेत्रविस्तार पर फैला हुआ है एवं मउरश शैली में, सफेद संगमरमर कमानों और तांबे के बाड़ों से बनाया गया है। मुख्य संरचना 54 वर्ग मीटर के एक 4मीटर उंचे पटल पर स्थित है। मूलतः वर्गाकार पदछाप वाली यह संरचना चार दीवारें से धिरा है, जिनमें चारों की लंबाई 75 मीटर है। इसकी कुल ऊंचाई 43 मीटर है। इसकी गुंबद का भीतरी भाग चीन की सरकार द्वारा उपहार के रूप में दिये गए झूमर की रौशनी की वजह से हरी झलक देता है। मज़ार के चारों ओर एक पार्क बनाया गया है, जो स्थापित शक्तिशाली एकाग्रता रोशनी रात के समय इस के सफेद संगमरमर पर प्रकाश डालती हैं। अंद्रूनी कब्र-कक्ष में कुल चार कब्रें हैं, जिनमें तीन कब्रें एकसाथ हैं और एक कब्र उत्तर की और स्थित है, जो की फातिमा जिन्नाह का है। बाकी के तीन, लियक़त अली खान, मुहम्मद अली जिन्नाह और अब्दुर रबी निसार के हैं।
चित्रपट्टिका
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बाहरी कड़ियाँ
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