मकरध्वज रसायन

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मकरध्वज रसायन के मुख्य घटक

1 - स्वर्ण भस्म या वर्क 2 तोला

2 - बंग भस्म[१]

3 - कान्तलौह भस्म

4 - मोती भस्म

5 - जावित्री

6 - जायफल

7 - चांदी भस्म

8 - कॉंस्य भस्म

9 - रस सिंदूर

10 - प्रवाल भस्म

11 - कस्तूरी

12 - शुद्ध कपूर

13 - अभ्रक भस्म यह सब एक एक तोला

14 - स्वर्ण सिंदूर 9 तोला

इन सब को लेकर एकत्रित कर लें और खरल में अच्छी तरह घोटकर एक एयरटाइट कंटेनर में बंद करके रख लें।

मकरध्वज रसायन के गुण और उपयोग

1 - यह रसायन पोष्टिक, वीर्य वर्धक, उत्तेजक तथा शरीर में स्फूर्ति बढ़ाने वाला और वाजीकरण है। अतः वे सभी पुरुष जो कमजोरी महसूस करते हैं। इसका सेवन कर सकते हैं अवश्य ही लाभ होगा।


2 - शुक्र संबंधि सभी प्रकार के रोगों में इस रसायन के प्रयोग से विशेष लाभ होता है।

3 - शुक्र दोष या वीर्य वाहिनी नाड़ियों की कमजोरी से उत्पन्न नामर्दी के रोग मैं इसके सेवन से बहुत अच्छा लाभ होता है, क्योंकि इसका प्रभाव वीर्य वाहिनी नाड़ी तथा वात वाहिनी नाड़ियों पर विशेषकर होता है।

4 - किसी लंबी बीमारी के कारण शरीर के अवयव कमजोर होकर अपना कार्य करने में असमर्थ हो गए हों और आप अत्यधिक कमजोरी का अनुभव करते हों, तो इस रसायन का सेवन अवश्य करें।

5 - गाय के दूध, मक्खन या मलाई के साथ इसका सेवन करने से कुछ ही दिनों में यह शरीर को कांति मान और हृष्ट पुष्ट बना देता है।

मात्रा और सेवन विधि

2 - 2 रत्ती सुबह शाम शहद या अदरक के रस के साथ अथवा रोग के अनुसार उचित अनुपान के साथ सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है।



सन्दर्भ- आयुर्वेद सार संग्रह, श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन लिमिटेड पृष्ठ संख्या -418