भूदेव मुखोपाध्याय
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भूदेव मुखोपाध्याय (१८२७ – १८९४) १९वीं शताब्दी के बंगाल के लेखक और बुद्धिजीवी थे। बंगाल के नवजागरण काल में उनकी रचनाओं में राष्ट्रवाद और दर्शन का सुन्दर रूप देखने को मिलता है। 'अङ्गुरिया बिनिमय' (१८५७) नामक उनका उपन्यास बंगाल का पहला ऐतिहासिक उपन्यास था। वे संस्कृत के महान विद्वान भी थे।
कृतियाँ
- पारिवारिक प्रबन्ध (१८८२) - निबन्ध
- सामाजिक प्रबन्ध (१८९२) - निबन्ध
- आचार प्रबन्ध (१८९५) - निबन्ध
- प्राकृतिक विज्ञान (दो भागों में, १८५८ और १८५९) - पुस्तक
- पुराबृत्तसार (१८५८) - पुस्तक
- इंग्लैण्डेर इतिहास (१८६२) पुस्तक
- रोमेर इतिहास (१८६२) - पुस्तक
- बांग्लार इतिहास (तृतीय भाग, १९०४) - पुस्तक
- क्षेत्रतत्त्व (१८६२) - पुस्तक
- पुष्पाञ्जलि (प्रथम भाग, १८७६) - पुस्तक
- अङ्गुरिया बिनिमय (१८५७) - उपन्यास
- ऐतिहासिक उपन्यास (१८५७) - ऐतिहासिक उपन्यास
- स्वप्नलब्ध भारतबर्षेर इतिहास (१८९५) - उपन्यास
बाहरी कड़ियाँ
- रसजलनिधि भाग-१ (संकलन-भूदेव मुखोपाध्याय)
- रसजलनिधि भाग-२ (संकलन-भूदेव मुखोपाध्याय)
- रसजलनिधि भाग-३ (संकलन-भूदेव मुखोपाध्याय)
- रसजलनिधि भाग-४