भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान
भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान (Indian Institute of Chemical Biology (IICB)) भारत की उन बड़ी प्रयोगशालाओं में से एक है, जिसने अपनी स्थापना के समय से ही संक्रामक रोगों, खासकर लिशमैनियासिस एवं कॉलरा पर बुनियादी अनुसंधान कार्य करने हेतु बहु-अनुशासनिक सघन प्रयास किया है और साथ ही रोगों कि परीक्षण, इम्युनोप्रोफिलैक्सिस एवं केमो थेरापी के लिए प्रौद्योगिकी का विकास किया है।
इस संस्थान की स्थापना जैवचिकित्सीय अनुसंधान के लिए भारत में प्रथम गैर सरकारी केंद्र के रूप में 1935 में हुई थी और 1956 में इसे सीएसआईआर के संरक्षण में शामिल किया गया। आज भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान राष्ट्रीय महत्व के रोगों और वैश्विक हित की जैविक समस्याओं पर अनुसंधान कर रहा है। इसके वैज्ञानिक स्टाफ सदस्य रसायन, जैवरसायन, कोशिका जीवविज्ञान, आणविक जीवविज्ञान, तंन्निका जीवविज्ञान और प्रतिरक्षाविज्ञान सहित विभिन्न प्रकार कि क्षेत्रों में विशेष ज्ञान रखते हैं। उनकी यह विशेषज्ञता उत्पादक अंतर-अनुशादसनिक अंतक्रिया को बढ़ावा देती है।
तंत्रिका जीवविज्ञान समूह मेरूदंडी जीवों के मस्तिष्क के विकास और साथ ही मानव गतिशीलता विकृति के जेनेसिस पर अनुसंधान करने में संलग्न है। प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त जैवसक्रिय उपादान और रासायनिक दृष्टि से संश्लेषीकृत नए अणुओं की खोज सक्षम औषधियों के रूप में की जा रही है। जिन अन्य क्षेत्रों में कार्य किए जा रहे हैं वे हैं गैस्ट्रिक हाइपर एसिडिटी एवं अल्सर, मांसपेशीय डिस्ट्रोफी एवं उससे संबंधित विकृति, बृहदाणविक (मैक्रोमोलेक्युलर् संरचना कार्य विश्लेषण, लक्षित औषधि संवितरण पद्धति का विकास, शुक्राणु जीवविज्ञान और प्रोटीन रसायन तथा एंजाइमिकी।