भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड
भारत तथा पाकिस्तान के बीच इन्डस जल सन्धि, 1960 पर हस्ताक्षर हुए जिसके अनुसार तीन पूर्वी नदियां नामत: सतलुज, ब्यास तथा रावी के जल का अनन्य प्रयोग करने हेतु भारत को आबंटित किया गया।
सुनिश्चित सिंचाई विद्युत उत्पादन तथा बाढ़ की नियंत्रण व्यवस्था करने के लिए इन नदियों के सर्वोत्म उपयोग हेतु एक मास्टर प्लान तैयार किया गया। भाखड़ा और ब्यास परियोजनाएं तत्कालीन पंजाब एवं राजस्थान के संयुक्त उद्यम के रूप में योजना का मुख्य हिस्सा बनी।
1 नवम्वर, 1966 को तत्कालीन पंजाब राज्य के पुनर्गठन पर भाखड़ा प्रबन्ध बोर्ड का गठन भाखड़ा नंगल जलविद्युत परियोजना के प्रशासन, अनुरक्षण एवं परिचालन के लिए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की धारा 79 के अन्तर्गत 1 अक्तूबर, 1967 से हुआ।
ब्यास परियोजना का कार्य पूर्ण होने पर भारत सरकार द्वारा पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की धारा 80 के अनुसार ब्यास निर्माण बोर्ड बी.सी.बी. को भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। जिस अनुसार 15 मई 1976 से भाखड़ा प्रबन्ध बोर्ड को भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड का नाम दिया गया। तभी से भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड राष्ट्र की सेवा में समर्पित है तथा भाखड़ा नंगल तथा ब्यास परियोजनाओं से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली तथा चण्डीगढ को जल तथा विद्युत विनियम के निर्बाध वितरण के लिए प्रतिबद्व है।