भाई मनसुख

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भाई मनसुख (गुरमुखी : ਭਾਈ ਮਨਸੁੱਖ), गुरु नानक के परम भक्त तथा लाहौर क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यापारी थे। सिख धर्म की नींव रखने में इनका बड़ा योगदान रहा है। वे सिख धर्म के पहले प्रचारक भी माने जाते हैं।

भाई मनसुख (बणजारा) एक लाहोर के सबसे बड़े ब्यापारी थे। उस काल मे सिर्फ ब्यापार का काम वो ही लोग करते थे जिन्हें बणजारा कहते थे। दिल्ली से लेकर लाहोर तक ओर राजस्थान से लेकर जम्मु काश्मिर तक हर तहफ बंणजारो केही काफिले नजर आते थे। तब के सबसे अमिर बंणजारे होते थे विदोशो में घुमना उनके लिये आम बात होती थी। मनसुख भाई का ब्यापार अरब से लेकर लंका तक फैला हुआ था।

कहा जाता है गुरु नानक देव जी महाराज भी राजपूत-बणजारा समुदाय से थे, इसी कारण आज भी बणजारे गुरु नानक देवजी को अपना गुरु मानते हैं और उनकी पूजा करते आये हैं। भाई मनसुख के अलावा गुरु नानकजी के साथ जो प्रथम सिख बने वो सभी बंणजारा समुदाय से थे। भाई मनसुख से लेकर भाई लख्खीशा तक के सारे एशिया के सबसे बडे बडे ब्यापारीयों ने अपना सब कुछ गुरु के लिये कुर्बान कर दिया। कुछ वर्ष बाद सिख धर्म में अन्य समुदाय के लोग भी सम्मिलित हुए, किन्तु ऐसा माना जाता है कि सिखों में ९० प्रतिशत बणजारे ही हैं।