भगवा आतंकवाद
आतंकवाद |
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भगवा आतंकवाद से तात्पर्य उन हिंसात्मक गतिविधियों से है जिन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद द्वारा प्रेरित बताया जाता है। यह शब्द हिन्दू धर्म के प्रमुख प्रतीक केसरिया रंग के पर्यायवाची से उद्धृत है।साँचा:sfn[१]
प्रयोग
भगवा आतंकवाद का सबसे पहला प्रयोग अंग्रेज़ी में सन् २००२ में, फ़्रंटलाईन (Frontline) नामक अंग्रेज़ी पत्रिका के एक लेख में, गुजरात दंगे को संबोधन करने के लिए हुआ था।[२] लेकिन इस शब्द का अधिक प्रयोग २९ सितंबर सन् २००८ के मुंबई के मालेगाँव धमाके के बाद हुआ क्योंकि जांच के सिलसिले में धमाके से संबद्धित, कथित तौर पर, एक हिन्दू संगठन से जुङे लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि इस्लामी उग्रवादी संगठन, इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) पर भी दोष आया था क्योंकि इसी इलाके में सन् २००६ के धमाके में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ होने की आशंका थी (असल में इंडियन मुजाहिदीन उस समय 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया' के नाम से जाना जाता था)। लेकिन, जांच आगे बढ़ने के बाद किसी हिन्दू संगठन के शामिल होने की कथित तौर पर पुष्टि हो गई।साँचा:citation needed
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के अनुसार, शरद पवार ने ही सबसे पहले भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया था। इसका जवाब देते हुए पवार ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले मालेगांव विस्फोट के बाद इस शब्द का उपयोग किया था।[३] भगवा आतंकवाद और हिन्दू आतंकवाद में अधिक अंतर नहीं प्रतीत होता है। हिन्दुत्व आतंकवाद का भी कभी-कभी हिन्दू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद की जगह प्रयोग किया जाता है। भारतीय मीडिया में तीनों शब्दों का इस्तेमाल होता है। प्रसिद्ध पत्रिका 'आउटलुक' (Outlook) में ही तीनों शब्दों का बारी-बारी से इस्तमाल होता देखा गया है। 'द नैश्नल' (The National) के अनुसार कोई भी हिन्दू उग्रवादी द्वारा, मुसलमानों के खिलाफ कोई भी हिंसा की कथित भूमिका को या तो भगवा आतंकवाद या तो हिन्दू आतंकवाद से संबोधित किया जाता है। [४] लेकिन सुभाष गाताडे की किताब-गोडसेज़ चिल्ड्रेन (Godse's Children) में हिन्दूत्व और हिन्दू को अलग बताया गया है [५] और विनायक दामोदर सावरकर की किताब "हिन्दुत्व" में हिन्दू को हिन्दुत्व का एक छोटा सा हिस्सा बताया गया है, इसलिए हिन्दू को हिन्दुत्व से भिन्न बताया गया है।[६]
मुख्य हिन्दू राष्ट्रवादी दल, जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आरंभ ठीक हिन्दुत्व विचारधारा के आने के बाद शुरू हुआ। हिन्दू विचारधारा की शुरूआत सावरकर द्वारा सन् १९२३ में लिखी किताब "हिन्दुत्व" से हुई और दो साल बाद ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण हुआ। हालांकि भगवा रंग बौद्ध मत के लोग भी अपनाते हैं। इसलिए भगवा आतंकवाद को एक भ्रामक पद माना जाता है और हिन्दू आतंकवाद या हिन्दुत्व आतंकवाद जैसे नामों को अपनाया जाता है।[७]
इतिहास
३० जनवरी सन् १९४८ में मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या को हिन्दूत्व विचारधारा से प्रेरित बताया जाता है। [८] गांधी का एकलौता हत्यारा नाथूराम गोडसे १९४० तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य था। लेकिन गांधी की हत्या को भगवा आतंकी से प्रेरित करार देने पर अभी तक विवाद चल रहा है क्योंकि सरदार वल्लभभाई पटेल, जो उस समय भारत के गृह मंत्री थे, ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि पटेल के मरणोपरांत जाँच आयोग और कपूर कमीशन ने १९६९ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को क्लीन चिट दे दी।[९] इंडियन नेशनल कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने सेवकों को गांधी की हत्या से पहले 'किसी बड़ी घटनाक्रम' के लिए इंतजार करने को कहा था और फिर गांधी की मृत्यु के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मिठाईयाँ बाँटी। [१०]
सन्दर्भ
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