भगवत मुदित
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (मार्च 2021) साँचा:find sources mainspace |
भगवत मुदित के पिता माधव मुदित चैतन्य संप्रदाय के भक्त सुकवि तथा आगरा के निवासी थे। इनका समय सं. 1630 तथा सं. 1720 वि. के मध्य में था। यह आगरा में शुजाअ के दीवान थे और वहाँ से विरक्त होकर वृंदावन में आ बसे थे। इन्हें हित संप्रदाय के भक्तों का भी सत्संग प्राप्त था और इन्होंने इस संप्रदाय के 35 भक्तों का चरित्र रसिक अनन्यमाल में ग्रंथित किया है। प्रबोधानंद सरस्वती के अनेक वृंदावन शतकों में से एक का इन्होंने पद्यानुवाद किया है, जो सं. 1707 की रचना है। इनके दो सौ सात स्फुट पद अब तक मिले हैं। यह भी चैतन्य संप्रदाय के राधारमणी वैष्णव थे।