भँवरलाल गिरधारीलाल शर्मा
भँवरलाल गिरधारीलाल शर्मा (सन् १९२४ – २००७) राजस्थान चित्रकला के पुरोधा थे। वे 'बीजी शर्मा' नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। वे अपनी सूक्ष्म भक्ति चित्रों के लिये प्रसिद्ध हैं। उन्होने राजस्थान की शास्त्रीय कला (जिसमें मुगल चित्रकला, किशनगढ़ चित्रकला, और कांगड़ा चित्रकल सम्मिलित हैं) को पुनर्जीवित किया और उसे लोकप्रिय बनाया। उन्होने पारम्परिक और आधुनिक चित्रकला को मिश्रित करने का प्रयोग भी किया जिसके द्वारा उन्होने कुछ अनुपम चित्र बनाये।
भँवरलाल शर्मा का जन्म उदयपुर के निकट नाथद्वारा में ५ अगस्त, १९२४ को हुआ था। नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मन्दिर चित्रकाला के उपासकों को आश्रय प्रदान करता है। उनका परिवार भी कई पीढियों से चित्रकला के क्षेत्र में कार्यरत था।
भंवरलाल शर्मा ने अपने बनाये चित्रों की प्रदर्शनी लन्दन, जर्मनी, संयुक्त राज्य आदि में लगाई। उदयपुर स्थित कला वीथिका (आर्ट गैलरी) में उनके बनाये चित्रों का एक विशाल संग्रह है। आरम्भ में उनकी शैली पर उनके पिता एवं उनके दादा की शैली का प्रभाव दिखता है। किन्तु बाद में उन्होने अपनी एक स्वतंत्र शैली का विकास किया।
उन्होने भारत की पूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी, ब्रिटेन की महारानी एलिजबेथ द्वितीय, आश्ट्रेलिया के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री मैल्कम फ्रेशर के चित्र बनाये। उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मनित किय गया जिसमें भारत का मास्टर शिलपकारी के लिये राष्ट्रीय कला पुरस्कार भी शामिल है।
सन २००० में उनके बनाये चिरों का प्रकाशन 'सुन्दरता के रूप : श्री बीजी शर्मा की कृष्ण कला' नाम से किया गया। उन्होने रामायण की भी पूरी चित्र शृंखला बनायी। ये सभी चित्र शर्माजी ने 70-80 के दशक में बनाए थे। इस श्रृंखला में 55 से अधिक चित्र हैं।