बैरागी (जाति)
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बैरागी हिन्दू ब्राह्मणों का वर्ग हैं जो वैष्णववाद का पालन करतूत हैं |
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बैरागी या वैष्णव एक प्रतिष्ठित भारतीय जाति हैं। विष्णु के उपासक को वैष्णव या बैरागी कहा जाता है। वैष्णव सम्प्रदाय के समस्त प्राचीन मंदिरो की अर्चना वैष्णवों (बैरागी) द्वारा ही की जाती है। वैष्णवीय आध्यात्मिक मार्ग में परम्परानुसार इन्हें गुरु पद प्राप्त है। पुराणों में वैष्णवों के चार सम्प्रदाय वर्णित हैं। वैष्णवीय परम्परा कर्मकांड पर जोर ना देते हुए भक्तिमार्ग पर अधिक जोर देती है। अतः वैष्णव मंदिरो में भगवान की पूजा अर्चना करते है।[२][३]
उत्त्पत्ति
वेदों और पुराणों में वैष्णव-ब्राह्मणों का वर्णन कई बार आया है। सृष्टि के आरम्भ में ही भगवान श्री हरि विष्णु ने ब्रह्मा को व ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम सनकादिक व सप्तऋषियों की उतपत्ति करि वे सर्वप्रथम वैष्णव कहलाये।
राजवंश
- छुईखदान राज्य : सन् 1750 में महंत रूप दास बैरागी द्वारा स्थापित।
- नंदगाँव राज्य : सन् 1765 में महन्त प्रह्लाद दास बैरागी द्वारा स्थापित।
उल्लेखनीय व्यक्ति
- वीर बन्दा बैरागी (मातृभूमि के वीर सपूत)
- चौधरी हरिदास बैरागी (झुमियांवाली, पंजाब के जाट जनसेवक)
- चौधरी रामकिशन बैरागी (हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री)
- धन्ना जाट (जाट से बैरागी बने व धन्नावन्शी बैैैरागी समाज के संस्थापक)
- पीपा राजपूत (चौहान राजपूत से बैरागी बने व गगनौरगढ़ राज्य के राजा)
- स्वामी बालानन्द (बैरागियों के प्रथम सेनापति)
- चौधरी बिरहड़दास बैरागी (1857 की क्रान्ति में अंग्रेजों द्वारा तोप के आगे बाँध कर उड़ा दिया)
- कुंवर रूपसी बैरागी (कच्छवाहा राजपूत से बैरागी बने व दौसा के जागीरदार)
- महन्त अभिराम दास बैरागी (बाबरी मस्जिद में रामलला की मूर्तियां रखने वाले)
- उद्धव दास बैरागी (वृन्दावन में हजारों हिंदुओं का धर्मान्तरण कराने वाला काज़ी मुकर्रम को मौत के घाट उतारा, परिणाम स्वरूप औरंगज़ेब ने फांसी की सजा सुनाई)