बुरुली अल्सर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
बुरुली अल्सर
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
Buruli ulcer left ankle EID.jpg
घाना से एक व्यक्ति की टखने पर बुरुली अल्सर।
आईसीडी-१० A31.1 (ILDS A31.120)
आईसीडी- 031.1
डिज़ीज़-डीबी 8568
एम.ईएसएच D009165

बुरुली अल्सर (जिसे बार्न्सडेल अल्सर, सियर्ल्स अल्सर, या डेनट्री अल्सर भी कहा जाता है[१][२][३]) एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम अल्सेरांस के कारण होता है।[४] इस संक्रमण की शुरुआती अवस्था में दर्दरहित गाँठ या सूजन देखने को मिलती है।[४] यह गाँठ अल्सर में बदल सकती है।[४] यह अल्सर जितना त्वचा पर दिखाई पड़ता है उसकी तुलना में अंदर कहीं अधिक बड़ा हो सकता है,[५] और इसके चारों ओर सूजन हो सकती है।[५] जैसे-जैसे यह बीमारी बिगड़ती जाती है, इससे हड्डी भी प्रभावित हो सकती है।[४] बुरुली अल्सर आमतौर पर हाथ या पाँवों पर होते हैं;[४] कभी-कभार बुखार भी आ सकता है।[४]

कारण

M. ulcerans (एम. अल्सेरांस) माइकोलैक्टोन नामक एक विषैला पदार्थ निकालता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली की कार्यक्षमता को कमजोर करता है और इसीके चलते ऊतकों की मृत्यु होती है।[४] इसी वर्ग के बैक्टीरिया के चलते ये रोग भी होते हैं - टीबी यानी क्षय रोग और कुष्ठ रोग (M. tuberculosis और M. leprae, क्रमश:)।[४] रोग का फैलाव कैसे होता है, यह अभी नहीं पता चला है।[४] लेकिन इस फैलाव में जलस्रोतों की भूमिका हो सकती है।[५] इसके लिए 2013 तक किसी कारगर वैक्सीन यानी टीके की खोज नहीं हो पाई है। [४][६]

इलाज

यदि लोगों को ज़ल्दी इलाज मिल जाए तो एंटीबायटिक का आठ सप्ताह तक का सेवन 80% तक प्रभावी होता है।[४] इस रोग के उपचार में अक्सर रिफाम्पिसिन और स्ट्रेप्टोमाइसिन का प्रयोग होता है।[४] कभी-कभार स्ट्रेप्टोमाइसिन के स्थान पर क्लेरिथ्रोमाइसिन या मॉक्सीफ्लॉक्सासिन का प्रयोग होता है।[४] इसके उपचार में अल्सर को काटकर फेंक देना भी शामिल हो सकता है।[४][७] जब घाव भर जाता है तो उस जगह पर आमतौर पर निशान रह जाता है।[६]

व्यापकता

बुरुली अल्सर अधिकांशतया ग्रामीण उप-सहारा अफ्रीका में, और ख़ासतौर से आइवरी कोस्ट में, अधिक होता है लेकिन यह एशिया, पश्चिमी प्रशांत और अमेरिका में भी हो सकता है।[४] 32 से अधिक देशों में इसके मामले देखने को मिले हैं।[५] हर वर्ष पाँच से छह हजार मामले प्रकाश में आते हैं।[४] यह रोग इंसानों के अलावा कई पशुओं में भी होता है।[४] अल्बर्ट रस्किन कुक पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1897 में बुरुली अल्सर रोग की व्याख्या की थी।[५]

सन्दर्भ