बुद्ध स्मृति पार्क
बुद्ध स्मृति पार्क बिहार की राजधानी पटना के पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास 22 एकड़ ज़मीन पर 125 करोड़ रुपए की लागत से बना उद्यान है। इसके मध्य में 200 फ़ीट ऊँचा एक स्तूप बनाया गया है। इसमें छह देशों से लाए गए ' बुद्ध अस्थि अवशेष' की मंजुषाएं रखी गई हैं। 27 मई 2010 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा ने इसे जनता को समर्पित किया। उन्होंने इस स्तूप को पाटलिपुत्र करुणा स्तूप का नाम दिया। यह दुनिया भर के बौद्ध पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
अवलोकन
पार्क का निर्माण उस स्थान पर किया गया है जहाँ कभी ब्रिटिश काल की ऐतिहासिक बांकीपुर सेंट्रल जेल मौजूद थी। पटना के बाहरी इलाके बेउर में एक नई केंद्रीय जेल के निर्माण के बाद, पुरानी जेल बेमानी हो गई।[४] यह पार्क बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिमाग की उपज है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता, दलाई लामा ने २७ मई २०१० को बुद्ध स्मृति पार्क का उद्घाटन किया[५] और दो पौधे लगाए जिनमें से एक बोधगया से लाया गया था और दूसरा पवित्र बोधि वृक्ष के श्रीलंका के अनुराधापुरा से लाया गया था। माना जाता है कि बोधगया में मूल महाबोधि वृक्ष की एक शाखा को सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र द्वारा श्रीलंका में अनुराधापुर ले जाया गया था। श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल बुद्ध स्मृति पार्क में लगाए गए इस पेड़ से एक पौधा लेकर आया था।[५][६]
सन्दर्भ
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- ↑ Sacred tree sapling planted at Patna s Buddha park The Times of India. Retrieved 16 Nov 2010