बिहार में गाँवों
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बिहार एक गाँव प्रधान राज्य है। बिहार की 88.7% जनसख्या गाँवो में निवास करती हैं। बिहार का वास्तिविक रूप देखना है तो गाँवो में इसे देखा जा सकता हैं। इन सब क अलावा गाँव हमरे सभ्यता के प्रतीक है। इन गाँव में ही मेहनत कस किसान व मजदुर निवास करते है जो हमारे अन्नदाता है। बिहार का विकाश गाँवो के विकाश से सीधा ज़ुरा हुआ है।
बिहार के ग्रामीण बिहार की तस्वीर एव तक़दीर तेजी से बदल रही हैं। बिहार के ग्रामीण विकाश जहाँ एक ओर कृषि ,पशुपालन और कुटीर उद्योगो विकाश पर निर्भर करता हैं। वही इन कार्यो के लिए आधारभूत संसाधन की उपलब्धता तथा ग्रमीण रोजगार भी जरुरी हैं।
बिहार के गाँवों के कृषि पर पूरी तरह निर्भरता के कारन किसान परिवार की जरूरतों को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाती हैं। जनसख्या के निरंतर विकाश से किसानों के खेत अब छोटे छोटे हो रहे हैं। बिहार के किसान ज़्यदातर प्रकृति पर निर्भर रहते हैं और सदैव सूखा और बाढ़ के चपेट में आकर नुकशान उठाते हैं। सरकार अब गाँवों के विकाश के लिए प्रयत्न कर रही हैं। समय समय पर राज्य के अंतर्गत विकाश ,शिक्षा स्वास्त्य, पर्यटन ,साक्षरता के दर में विर्धि हेतु प्रयाश किये जाते है। ग्रमीण इलाकों में स्वास्त्य से संबंधित जागरूकता अभियान के लिए लोक स्वास्त्य अभियान का शुभ आरम्भ किया गया हैं। ऐसी बहुत सारि योजनाएं हैं जो बिहार सरकार द्वारा ग्रमीण इलाको के विकाश के लिए चलाये जा रहे है। बिहार में 45103 गाँव हैं। यह के लगभग सभी गाँवों में बिजली पहुंच गयी है। शहर के हर सड़क को बिहार के गावों से जोर दिया गया हैं हर गाँव में हॉस्पिटल और स्कूल जैसे सुविधाएं उपलब्ध करा दी गयी हैं। सातवीं पंचवर्षीय योजना में 1985 से 1990 की अवधि में ग्रमीण क्षेत्रों के सर्वागीण विकाश के लिए इंद्रा आवास योजना ,जवाहर रोजगार योजना ,ग्रमीण स्वक्षता कार्यकम ,जलधारा और कुटीर ज्योति कार्यकर्म शुरू किये गए। विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी योजनाओं का विकेन्द्रीकरण , भूमि सुधारों का बेहतर तरीकों से लागु करना।
बिहार में गावों में विकास के लिए गांधी के विचारों को अपनाने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा था 'हमारे देश की आत्मा गावों में बसती हैं। ' गाँव की समस्याओं को हल कर उन्हें खुशहाल करने की जरूरत हैं।