बिस्केट यात्रा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
साँचा:br separated entries
Bisket Jatra Chariot Bhaktapur.jpg
भक्तपुर में बिस्केट यात्रा
शैली त्योहार
आवृत्ति वार्षिक
स्थल भक्तपुर
स्थान भक्तपुर
पिछला 2021
उपस्थिति 5 लाख लोग
क्रियाएँ धार्मिक उत्सव
बिस्केट यात्रा

बिस्काः यात्रा भक्तपुर, धापसी, मध्यपुर थिमि और टोखा के साथ नेपाल के कई अन्य स्थानों में होने वाला एक वार्षिक त्योहार है। यह त्योहार विक्रम संवत कैलेंडर को ध्यान में रखकर नए साल की शुरुआत में मनाया जाता है, हालांकि इस त्योहार का कोई भी सम्बन्ध विक्रम संवत से नहीं है।[१][२]

किंवदंती यह है कि यह त्योहार एक नागिन की मृत्यु के बाद से मनाया जाता है। भक्तपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों नें लोग इस त्योहार को अपने-अपने रीति-रिवाजों के अनुसार मनाते हैं। त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण स्थान तौमाधी स्क्वायर और थिमी बालकुमारी हैं। इस त्योहार के दौरान भगवान भैरव की मूर्ति एक रथ पर सैकड़ों लोगों द्वारा रस्साकशी के रूप में खींची जाती है। लगभग एक महीने पहले से ही रथ को न्यातापोला मंदिर (पांच सीढ़ी मंदिर) के पास इकट्ठा कर दिया जाता है। भक्तपुर में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण पल वह है जब बिस्केट यात्रा के दौरान भगवान भैरव को त्योहार के लिए अपने मंदिर से बाहर लाया जाता है और फिर उनकी मूर्ति को रथ पर चढ़ाकर रस्साकशी आरम्भ की जाती है। स्थानीय निवासी इस कार्यक्रम को "दया कोहा बिजयगु" कहते हैं। रस्साकशी के दौरान रथ को ठाणे और कोने (शहर के दो भाग) के स्थानीय निवासियों द्वारा दोनों ओर से खींचा जाता है और जो कोई भी जीतता है, उसे अगले वर्ष त्योहार को आयोजित करने का मौका मिलता है, जबकि दूसरा पक्ष अपनी बारी का इंतजार करता हैं और अगले वर्ष दोबारा प्रयास करता है। रथ को अंत में गहिती तक खींचा जाता है, जहाँ रथ को दो दिनों तक रखा जाता है और फिर उसे नेपाली नव वर्ष की पूर्व संध्या पर लयसिंखेल तक पुनः खींचा जाता है। लयसिंखेल में रथ को अगले दिन तक रखा जाता है। इसके बाद फिर से रथ को गहिती तक खींचा जाता है और अंतिम दिन जिसे स्थानीय भाषा में "दया था बिजयगु" कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि भगवान भैरव को फिर से मंदिर में लाया जाना, इस दौरान रथ को फिर से दोनों तरफ खींचा जाता है और अंत में 5 मंजिला मंदिर के परिसर में स्थापित कर दिया जाता है।[३][४][५]

मध्यपुर थिमि में भी कई जगहों पर बिस्का जात्रा मनाया जाता हैं। मध्यपुर थिमि के विभिन्न हिस्सों के लोग स्व निर्मित रथों को लेकर इकट्ठा होते हैं। लोग जश्न मनाते हैं और एक-दूजे को बधाई देते हैं, सिमरिक रंग का पाउडर उड़ाते हैं और मधुर संगीत बजाते हैं। मान्यताओं का पालन करके कुछ लोग अपने जीभ को भेद कर रहते हैं, ऐसे लोगों को स्थानीय भाषा में बोडे कहते हैं, जो एक जीभ-भेदी है और समारोह के साक्षी हैं। वह सारा दिन लोहे की कील से अपने जीभ को छेदकर रहता है और अपने कंधे पर कई ज्वलंत मशालें लेकर शहर में घूमता है।[६][७]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite web
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite web
  6. साँचा:cite web
  7. साँचा:cite web