बाबा खड़क सिंह
खड़क सिंह | |
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कार्यकाल 14 अगस्त 1921 - 19 फरवरी 1922 | |
पूर्वा धिकारी | सुंदर सिंह मजीठिया |
उत्तरा धिकारी | सुंदर सिंह रामगढ़िया |
कार्यकाल 2 अक्टूबर 1926 - 12 अक्टूबर 1930 | |
पूर्वा धिकारी | मंगल सिंह |
उत्तरा धिकारी | तारा सिंह |
जन्म | साँचा:br separated entries |
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बाबा खड़क सिंह (6 जून 1867 - 6 अक्टूबर 1963), भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक सक्रिय सेनानी, एक सिख राजनीतिक नेता और और सेंट्रल सिख लीग के अध्यक्ष थे।[१] वह वस्तुत: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के पहले अध्यक्ष भी थे। नई दिल्ली के कनॉट प्लेस, क्षेत्र की एक प्रमुख सड़क का नाम उनके नाम पर बाबा खड़क सिंह मार्ग रखा गया है।[२]
जीवनी
बाबा खड़क सिंह का जन्म 6 जून 1867 को सियालकोट, पंजाब (अब पाकिस्तान में) ब्रिटिश भारत में हुआ था। उनके पिता, राय बहादुर सरदार हरि सिंह, एक धनी ठेकेदार और उद्योगपति थे। स्थानीय स्कूलों से अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने लाहौर विश्वविद्यालय स्नातक उत्तीर्ण किया। वह लॉ कॉलेज इलाहाबाद के छात्र थे जब उनके पिता का निधन हो गया और इस वजह से उन्हें अपने व्यवसाय और संपत्ति की देखभाल के लिए अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद वह जल्द ही सिखों के मुद्दों और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए और 1915 में उन्होने लाहौर में आयोजित सिख शैक्षिक सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।