बापू नाडकर्णी

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बापू नाडकर्णी
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व्यक्तिगत जानकारी
जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
बल्लेबाजी की शैली बाएं हाथ से
गेंदबाजी की शैली स्लो लेफ्ट आर्म ऑथोडॉक्स
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी साँचा:infobox
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स्रोत : क्रिकइन्फो

रमेशचंद्र गंगाराम 'बापू' नाडकर्णी साँचा:audio (जन्म ०४ अप्रैल १९३३) एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है। वह मुख्य रूप से एक इकोनॉमिकल गेंदबाज होने के लिए जाने जाते है। इन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए १९५५ से १९६८ तक [१]टेस्ट क्रिकेट खेला है, जिसमें इनकी इकोनॉमी रेट १.६७ रही है जो कि किसी भी गेंदबाज से सबसे कम है।

कैरियर

१९५०-५१ में पुणे विश्वविद्यालय के लिए रोहिंटन बरिया ट्रॉफी में दिखाई देने वाले नाडकर्णी ने क्रिकेट में जगह बनाकर भारतीय टीम के लिए बाद में खेले थे। उन्होंने अगले वर्ष (१९५१/१९५२) में महाराष्ट्र के लिए अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत की। दो साल बाद उन्होंने ब्रेबोर्न स्टेडियम में बॉम्बे के खिलाफ अपना पहला शतक बनाया था। नाडकर्णी ने सिर्फ १०३ मिनटों में शतक बनाया था जिसमें इन्होंने नाबाद १०३ रन बनाए और आखिरी विकेट के लिए सदाशिव पाटिल के साथ १०३ रन जोड़े थे।[२]

१९५५-५६ में फिरोज शाह कोटला में खेले गए टेस्ट में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ इन्हें चुना गया था, तब वीनू मांकड़ ने खुद को विश्राम दिया था। उन्होंने नाबाद ६८ रन बनाए, लेकिन ५७ ओवर तक गेंदबाजी के बाद भी उन्हें कोई भी विकेट नहीं मिला था। लेकिन जब मांकड़ वापस टीम में आये, तो नाडकर्णी ने खुद को टीम से बाहर कर लिया। उसी साल नाडकर्णी महाराष्ट्र के कप्तान बने थे।[३]

बापू नाडकर्णी को क्रिकेट जगत में सबसे किफाय्दी गेंदबाज (इकोनॉमिकल गेंदबाज) कहा जाता है क्योंकि इन्होंने अपने कैरियर में बहुत ही किफायती गेंदबाजी की थी।[४]

इन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए कुल ४१ टेस्ट क्रिकेट मैच खेले थे जिसमें ८८ विकेट अपने नाम किये थे जबकि बल्लेबाजी में भी शानदार क्रिकेट खेलते हुए १ शतक और ७ अर्धशतक की बदौलत १४,१४ रन बनाये थे। इन्हें मुख्य रूप से इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए साल १९६३/६४ में मद्रास में रिकॉर्डतोड़ गेंदबाजी करते हुए लगातार २१ ओवर मेडन किये थे जो कि सबसे ज्यादा लगातार मेडन ओवर निकालने वाले एकलौते गेंदबाज है। हालाँकि पूर्व में ८ गेंदों का ओवर हुआ करता था तब ह्यूज टेफील्ड ने लगातार १३७ गेंदे (१७.१ ओवर) बिना कोई रन दिए फेंके थे।

इस मैच में नाडकर्णी ने लगातार २१ ओवर और ५ गेंदे बिना कोई रन दिए निकाली थी अर्थात (१३१ डॉट गेंदे) बिना कोई रन दिए ही फेंकी थी और इसके आखिर में पहला रन दिया था। इस मैच में इन्होंने ३२ ओवर गेंदबाजी की थी। इन ३२ में से २७ ओवर मेडन फेंके थे और महज ५ ही रन दिए थे।[५]

सन्दर्भ