बहादुर शाह
राजप्रतिनिधि माँहिला साहिबज्यू बहादुर शाह | |
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मूल चौतारिया
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पद बहाल ३१ अगस्त, १७७८ – २० जुन, १७७९[३] | |
पूर्वा धिकारी | ओहोदा स्थापित |
उत्तरा धिकारी | - |
पद बहाल १३ जुलाई, १७८५ – ६ जुन, १७९४ [३] | |
पूर्वा धिकारी | मूल चौतारिया से |
उत्तरा धिकारी | कीर्तिमान सिंह बस्न्यात मूलकाजी (प्रधानमन्त्री) |
सैन्य सेवा | |
उपनाम | फत्तेबहादुर शाह |
निष्ठा | साँचा:flag |
पद | सेनापति |
लड़ाइयां/युद्ध | नेपाल –तिब्बत युद्ध र नेपाल –तिब्बत /चीन युद्ध [४] |
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बहादुर शाह (जन्म: १८१४ वि.सं. - मृत्यु: १८४२ वि.सं. गोरखाली शाहवंशीय राजा पृथ्वीनारायण शाह और बनारसी राजपूत मुखियाकी बेटी नरेन्द्र लक्ष्मीके दुसरे पुत्र थे । वे सैनिक अधिकारी और राजनीतिज्ञ थे। पिताके सपना साकार पार्ने पश्चिमके राजा-रजौटाओंके समाप्ति यिनके चाहना थे। भावी महारानी राजेन्द्रलक्ष्मी और भतिजा रणबहादुर शाहके अनेक षड्यन्त्र और दाउपेचके शिकार होते हुए भी राजेन्द्रलक्ष्मीके मृत्यु (१८४२ वि.सं.) पश्चात् निर्वासनसे फिर आकर नेपाल एकीकरण अभियानमा योगदान दिया।
राजकुमार बहादुर शाहने रणबहादुरके नायवी (राजप्रतिनिधि) ग्रहण करके नेपालको एकिकरण अगाडि बढाया। राजकुमार बहादुर शाहने पश्चिम नेपालके शक्तिशाली पाल्पा राज्यके राजाकी बहन से वैवाहिक संबन्ध बनाइ पश्चिम पर्वत से गुल्मी, अर्घा, खांची, रूकुम प्युठान, सल्यान, जाजरकोट, दैलेख, दुल्लु, जुम्ला, डोटी, अछाम, बझाङ, होकर कुमाउ गढवाल होकर सतलज नदी पार गोरखाली पहुंच गए थे। नेपाल एकिकरणके अभियानमें बहादुर शाहके नेतृत्वकालको स्वर्ण काल माना जाता हैं।