बहाउल्लाह
बहाउल्लाह | |
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![]() बहाउल्लाह का तीर्थ | |
Born | मिर्जा हुसैन अली नूरी Not recognized as a date. Years must have 4 digits (use leading zeros for years < 1000). |
Died | 29 मई 1892 |
Resting place | बहाउल्लहा का आश्रम साँचा:coord |
Nationality | पारसी |
Employer | साँचा:main other |
Organization | साँचा:main other |
Agent | साँचा:main other |
Known for | बहाई धर्म का संस्थापक |
Notable work | साँचा:main other |
Successor | अब्दुल बहाई |
Opponent(s) | साँचा:main other |
Criminal charge(s) | साँचा:main other |
Spouse(s) | साँचा:unbulleted listसाँचा:main other |
Partner(s) | साँचा:main other |
Children | साँचा:unbulleted list |
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बहाउल्लाह, बहाई धर्म के संस्थापक थे। वे इरान में जन्मे थे। उन्होने 1863 में इराक़ के बग़दाद शहर में बहाई धर्म की स्थापना की[१] और पूरी दुनिया को संदेश दिया कि हर एक युग में ईश्वर मानवजाति को शिक्षित करने हेतु मानव रूप में अवतरित होतें हैं और वे इस युग के अवतार हैं और इस विश्व को एकता और शान्ति के सूत्र में बांधने आये हैं। बहाउल्लाह ने घोषणा की कि वे ही वह बहुप्रतीक्षित अवतार हैं जिसकी प्रतीक्षा विश्व के हर धर्म के अनुयायी कर रहे हैं। कृष्ण कि वापसी कल्कि रूप मे, बुद्ध की वापसी मैत्रयी अमिताभा के रूप मे, ईसा का पुरागमन उनके पिता कि आभा के रूप में आदि आदि...। बहाईयों का मानना है कि बहाउल्लाह सम्पूर्ण धरती को एक करने के लिए आये हैै और उन्होंने धर्म, जाती, भाषा, देश, रंग आदि के समस्त पूर्वाग्रह को त्याग कर एक हो जाने के लिए अपना अवतरण लिया है।
दिल्ली का कमल मन्दिर (लोटस टेम्पल) बहाई धर्म के विश्व में स्थित सात मंदिरों में से एक है। पूरी दुनिया में बहाई धर्मावलंबी हैं, जो बहाउल्लाह को ईश्वरीय अवतार मानते हैं।
बहाउल्लाह ने 100 से ज्यादा पुस्तकें और हजारों प्रार्थनाएं लिखी थीं।
जीवनी
बहाउल्लाह (हिंदी अर्थ : ईश्वर का प्रकाश) का जन्म तेहरान (ईरान) में 12 नवम्बर 1817 में हुआ था। वे कभी स्कूल नहीं गए पर उनके पास ज्ञान का अथाह भंडार था। उन्होंने जो शिक्षा हासिल की वह घर से ही मिली। बहाउल्लाह जब 22 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था, वे मंत्री थे। इसके बाद प्रधानमंत्री ने बहाउल्लाह को उनके पिता की जगह मंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा पर उन्होंने नहीं माना। इसके बाद उन्होंने बहाई धर्म की स्थापना की। इस बीच उन्होंने निराकार ईश्वर का सिद्धांत देकर सभी धर्मो को जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने कहा नाम अलग-अलग हो सकते हैं पर ईश्वर तो एक ही है।
बहाउल्लाह की समाधि इजराइल के हैफा शहर में हैं और कारमेल पर्वत पर बनाई गयी "महात्मा बाब " और "अब्दुल बहा" की समाधि बहाई धर्म का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है।
बहाउल्लाह का सन्देश था - सम्पूर्ण पृथ्वी एक देश है और समस्त मानवजाति उसकी नागरिक है।
सन्दर्भ
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