बटला हाउस एनकाउंटर
बटला हाउस एनकाउंटर जिसे आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन बाटला हाउस के रूप में जाना जाता है।[१] सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों के खिलाफ की गयी मुठभेड़ थी, जिसमें दो आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए, दो अन्य आतंकवादी सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ और दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा इस घटना में शहीद हो गए। मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिसके खिलाफ अनेक राजनीतिक दलों(राजनीति करने के मकसद से), कार्यकर्ताओं[२] और विशेष रूप से जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन किया। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसे कई राजनीतिक संगठनों ने संसद में मुठभेड़ की न्यायिक जांच करने की मांग उठाई, जैसे-जैसे समाचार पत्रों में मुठभेड़ के "नए संस्करण" प्रदर्शित होने लगे।
एनकाउंटर
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में मोहन चंद शर्मा इंस्पेक्टर की अगुवाई में दिल्ली पुलिस की सात सदस्यीय टीम ने एल -18, बाटला हाउस के एल -18 में अपने किराए के पते पर ही मुठभेड़ हुई, 19 सितंबर 2008 को। तब एसीपी संजीव कुमार यादव ने भी इस मुठभेड़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।[३] टीम को विशिष्ट जानकारी मिली थी कि दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के सिलसिले में एक संदिग्ध व्यक्ति जामिया नगर के बटला हाउस इलाके के एक फ्लैट में छिपा था।