बघेल सिंह
बघेल सिंह धालीवाल | |
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चित्र:Baghel Singh.jpg | |
जन्म |
१७३० झाबल, अमृतसर जिला (पंजाब) |
मृत्यु |
१८०२ होशियारपुर जिला, (पंजाब) |
स्मारक समाधि | ईराक |
राष्ट्रीयता | सिख साम्राज्य |
अन्य नाम | ਬਘੇਲ ਸਿੰਘ |
जातीयता | धालीवाल (जट्ट सिख) |
कार्यकाल | १७६५-१८०२ |
प्रसिद्धि कारण | |
बच्चे | बहादुर सिंह धालीवाल |
अंतिम स्थान | ईराक |
बघेल सिंह धालीवाल (१७३०– १८०२ ई.) १८वीं शताब्दी में पंजाब क्षेत्र के एक सेनानायक थे। सुल्तान शाह आलम को हराने के बाद 11 मार्च 1783 में बाबा बघेल सिंह ने अपनी फौज सहित दिल्ली के लाल किले पर केसरिया झंडा लहराया था। गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब का निर्माण इन्होने ही कराया था।
उनका जन्म पंजाब के मजहा क्षेत्र के अमृतसर जिले में झाबल ग्राम में एक धालीवाल जट्ट परिवार में हुआ था। उसने प्रसिद्धि सतलुज-यमुना दोआब क्षेत्र में करोर सिंहिया मिस्ल के अधीन पायी। ये मिस्ल करोर सिंह के नेतृत्व में बनी थी एवं उसकी मृत्यु उपरांत इस मिस्ल का नेता भी बना। एक मुस्लिम इतिहासकार सैयद अहमद लतीफ़ के अनुसार इस मिस्ल में १२,००० से अधिक बहादुर योद्धा होते थे। [६]
दिल्ली विजय
बाबा बघेल सिंह, बाबा जस्सा सिंह रामगढ़िया व जस्सा सिंह आहलूवालिया ने 1783 में लाल किले पर केसरी निशान झूलाकर मुगलराज का तख्ता पलट किया था। दिल्ली के आसपास के इलाके जीतने के बाद सिख योद्धा बघेल सिंह ने अपनी सेना के साथ जनवरी, 1774 में दिल्ली पहुंचकर शाहदरा, पहाड़गंज और जयसिंहपुरा पर कब्जा कर लिया। 1783 की शुरुआत में सिखों ने लाल किले पर कब्जे की रणनीति बनाई थी। इसे अमल में लाने के लिए 60 हजार सैनिकों के साथ बघेल सिंह और जस्सा सिंह आहलूवालिया की गाजियाबाद में मुलाकात हुई थी। उसी साल 8 और 9 मार्च को उनकी सेना ने मलकागंज, अजमेरी गेट सहित दिल्ली के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया। जस्सा सिंह रामगढ़िया भी अपने 10 हजार सैनिकों के साथ इस मुहिम में शामिल होकर लाल किला फतेह करने को आगे बढ़ गए। 11 मार्च को सिख सैनिकों ने लालकिला पर हमला कर वहां निशान साहिब चढ़ाया और दीवान-ए-आम पर कब्जा कर लिया।
बाहरी कड़ियाँ
- बघेल सिंह पर समाचार लेख
- हिन्दुस्तान के मुगल साम्राज्य का पतन(अंग्रेज़ी)
- ज्ञान सिंह, ज्ञानी, पंथ प्रकाश [पुनर्मुद्रण], पटियाला, १९७०
- भागू, रतन सिंह, प्राचीन पंथ प्रकाश [पुनर्मुद्रण], अमृतसर, १९६२
- शीतल, सोहन सिंह, सिख मिस्लाँ। लुधियाना, १९५२
- हरबंस सिंह, द हेरिटेज ऑफ़ सिख्स। दिल्ली, १९८३
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ https://books.google.com/books?id=6sg_9N_AHbMC&pg=PA89&lpg=PA89&dq=Delhi+baghel+Singh&source=bl&ots=UXYslriYSa&sig=6o9dZrr8QTv4gkPIYfg5LYXFr74&hl=en&sa=X&ved=0CB0Q6AEwBjgoahUKEwi71LLD6MPHAhUHyRQKHRoqD60
- ↑ Hari Ram Gupta, History of the Sikhs: Sikh Domination of the Mughal Empire, 1764–1803, second ed., Munshiram Manoharlal (2000) ISBN 978-8121502139
- ↑ Ram Gupta, History of the Sikhs: The Sikh Commonwealth or Rise and Fall of the Misls, rev. ed., Munshiram Manoharlal (2001) ISBN 978-8121501651
- ↑ Sikh History. "Baghel Singh Dhaliwal स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।". Sikh-history.com. Retrieved 31 July 2016