पराबैंगनी किरणे सूर्य से निकलने वाली उर्जा का एक प्रकार है। कुछ कृतिम स्रोत से भी यह उर्जा निकलती है। पराबैंगनी किरणों को सूर्य से रौशनी या गर्मी की तरह देखा और महसूस नहीं किया जा सकता। सूर्य से निकलने वाली यह किरणे त्वचा कैंसर का मुख्य कारण मानी जाती है।
फ़ॉरेंसिक में प्रयोग
पराबैंगनी किरणों का उपयोग अपराधिक घटनाओ को सुलझाने मे भी किया जाता है।[१] बहुत सारी वस्तुए UV किरणों के संपर्क मे आने के बाद चमक या दृश्यात्मक प्रकाश (फ्लुरोसेंस) उत्पन करती है। इन वस्तुओ को फ्लूरोसेंट वस्तु कहा जाता है। UV किरणों का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य है जिसमे सामान्य दृश्यात्मक प्रकाश के स्पेक्ट्रम VIBGYOR मे V(वोइलेट) से उपर होती है इसी लिए इन किरणों को अल्ट्रावोइलेट कहा जाता है। न्यायालिक प्रयोगशाला मे हम सामान्य तौर पे क्वार्टज़ मरकरी वेपर(quartz mercury vapour) लैंप का प्रयोग किया जाता है। UV किरणों का उपयोग सामन्यता अँधेरे मे किया जाता है ताकि दृश्यात्मक प्रकाश के प्रभाव को कम किया जा सके और आसानी और साफ तौर पर कैमराबद्ध किया जा सके।
चेतावनी : लम्बे समय तक UV किरणों के संपर्क मे आना स्वास्थ्य के लिए हानीकारक होता है तथा त्वचा के कैंसर जैसी भयानक बिमारिय हो जाती है।
फॉरेंसिक दस्तावेजो के परीक्षण मे UV किरणों का उपयोग :
1. कागज का परीक्षण : UV किरणों के उपयोग से विभिन्न कागजो के अंतर को सपष्ट रूप से विभाजित किया जा सकता है दो अलग अलग कागज UV किरणों के संपर्क मे आते ही अलग अलग तरह की चमक दे सकते है जैसे दो तरह के कागज अगर एक साथ UV के संपर्क मे आये तो कोई एक हरी चमक दे सकता है तथा दूसरा नीली। कागजो का परिक्षण Uv किरणों से अतिशीघ्र किया जा सकता है।
साँचा:asbox
संदर्भ