प्लांक-नियम
प्लांक नियम निश्चित ताप पर तापीय साम्य में कृष्णिका द्वारा उत्सर्जित विद्युतचुंबकीय विकिरण को वर्णित करता है। इसका नामकरण मैक्स प्लांक के समान में किया गया, जिन्होनें यह सन् १९०० में प्रस्तावित किया था। यह आधुनिक भौतिकी और क्वांटम सिद्धांत के सम्बन्द्ध अग्रणी परिणाम है।
प्लांक नियम निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:
- <math>B_\nu(T) = \frac{ 2 h \nu^3}{c^2} \frac{1}{e^\frac{h\nu}{k_\mathrm{B}T} - 1}</math> या <math>\,B_\lambda(T) =\frac{2 hc^2}{\lambda^5}\frac{1}{ e^{\frac{hc}{\lambda k_\mathrm{B}T}} - 1}</math>
प्लांक के अनुसार विकिरण का उत्सर्जन अथवा अवशोषण सतत न होकर निश्चित ऊर्जा के बंडलों या पेकिटो के रूप में होता है। जिसे फोटोन कहते है।
प्रत्येक फोटोन में निश्चित संवगे निहित होता है, जिसका मान विकिरण की आवृति के समानुपती होता है। यदि विकिरण की आवृति v है तो प्रत्येक फोटोन से सम्बन्धित ऊर्जा E=hv तथा संवेग P=hv/c
जहां h प्लांक नियतांक = 6.6×10^-34 जूल × सेकंड c प्रकाश की चाल = 3×10^8 मीटर/सेकण्ड यह विकिरण में उर्जा के वितरण की व्याख्या करने में सफल हुआ