प्रौद्योगिकीय उद्विकास
साँचा:asbox प्रौद्योगिकीय विकास (Technological evolution), समाज के आमूल परिवर्तन का एक सिद्धान्त है जो समाज के विकास में प्रौद्योगिकी के विकास की की भूमिका को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानता है। इस सिद्धान्त का प्रवर्तन चेक दार्शनिक रादोवन रिचता (Radovan Richta) ने किया था।
रिचिता ने अपनी पुस्तक 'मैनकाइन्ड इन ट्रांसलेशन : अ व्यू ऑफ द डिस्टन्ट पास्ट, द प्रेजेन्ट ऐण्द द फार फ्यूचर' में यह विचार व्यक्त किया है कि प्रौद्योगिकी का विकास तीन चरणों में होता है, ये तीन चरण हैं- उपकरण (tools), मशीन और स्वचालन।
विकास की इस प्रक्रिया में पहले शारीरिक श्रम के स्थान पर मानसिक श्रम की स्थापना होती है और उसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक पर्यावरण पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होता है। 'अधिक नियंत्रण' के अन्तर्गत कच्चे माल को अधिक जटिल उत्पादों में परिवर्तन करना भी सम्मिलित है।