प्रो॰ दीपक गौड़

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प्रो. दीपक गौड़ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विजेता प्रोफेसर दीपक गौड़ (48) का बृहस्पतिवार को कोरोना के चलते निधन हो गया।


प्रो. गौड़ जेएनयू के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (एसबीटी) के संकाय सदस्य थे। इन दिनों वे अंतरराष्ट्रीय एड्स टीका संस्थान (आईएवीआई) में प्रतिनियुक्ति पर तैनात थे। प्रो. गौड़ का मलेरिया वैक्सीन बनाने का सपना अधूरा रह गया। लैब में मलेरिया वैक्सीन अंतिम ट्रायल में थी और जल्द टेस्टिंग शुरू करने की तैयारियां भी चल रही थी।

कोरोना ने देश से महान वैज्ञानिक को छीन लिया। मलेरिया से हर सालों दुनिया भर में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। अपने शोध से वे लोगों को मलेरिया बीमारी से निजात दिलाना चाहते थे। इसीलिए कोरोना काल में भी वे नियमित अपनी लैब में आकर अपने शोध का पूरा करने में लगे रहते थे। वे कहते थे कि हम बेशक चांद पर पहुंच जाएं पर गर्मी की शुरुआत के साथ ही सैकड़ों लोग मच्छर के काटने से होने वाले मलेरिया से जान गंवा देते हैं। यह खबर उस वक्त दुख देती हैं कि इतने सालों में हमारी तरक्की अधूरी है।

उनका कहना था कि मलेरिया वैक्सीन बनाकर वे आम लोगों को राहत देना चाहते हैं। वे अक्सर कहते थे कि हमारा शोध आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने पर होना चाहिए। इसीलिए कोरोना काल में भी वे अपनी लैब में आकर अपने शोधकार्य को आगे बढ़ाने से लेकर अपनी पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन करते रहे। प्रो. गौड़ की पत्नी प्रो. रितु गौड़ साउथ -एशियन यूनिवर्सिटी की संकाय सदस्य है। जबकि दो बेटे भी हैं। प्रो. गौड़ ने ह्यूमन बायोलॉजी में एम्स से बीएससी (ऑनर्स) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हम्यूनोलॉजी से लाइफ साइंस में पीएचडी की थी। वर्ष 2017 में उन्हें प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड मिला था।

हमारी टीम के बेहतरीन वैज्ञानिक चले गए: प्रो. धर स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के कुल सचिव प्रोफेसर पवन धर कहते हैं कि हमारी टीम के बेहतरीन वैज्ञानिक चले गए। 2014 से वे उन्हें जानते थे। प्रो. धर कहते हैं कि वे एक महान व्यक्ति, बेहतरीन वैज्ञानिक और अच्छे शिक्षक, सहकर्मी थे। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि हम उनके बारे में अतीत की तरह बात कर रहे हैं । इस महीने की शुरूआत में मैने उनसे बातचीत की थी। जब हमें हमारे व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से उनके संक्रमित होने की सूचना मिली तो मैंने उनसे बातचीत भी की। तब वे बेहद सहज थे।

उन्होंने कहा था कि सबकुछ ठीक है आप चिंता मत कीजिये । वह बड़े विश्वास के साथ बातचीत कर रहे थे ।आठ दिन तक वे बिल्कुल सामान्य तरह से बात कर रहे थे। एक दिन पहले मेरी उनकी पत्नी से बात हुई तो तबीयत अधिक खराब होने की जानकारी मिली। इससे पहले उनका इलाज आरएमएल के आईसीयू में चल रहा था। पिछले कल उन्हें एम्स में शिफ्ट किया गया। वहां वेंटिलेटर स्पोर्ट पर रखा गया था।

परीक्षा नियंत्रक बनकर जेएनयू परीक्षा का रिफार्म: प्रो. गौड़ 2019 अंत तक जेएनयू परीक्षा नियंत्रक के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने परीक्षा रिफार्म को लेकर कई सुधार किए। इसमें ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा से लेकर ऑनलाइन परीक्षा भी शामिल थी।