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गुरु गोबिन्द सिंह ( २२ दिसमनर १६६६ से ७ अक्टूबर) सिखों के दसम एवं अन्तिम गुरु थे । उनका जन्म बिहार के पटना में हुआ था । उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि एवं आध्यात्मिक नेता थे। उन्होने सन १६९९ में बैसाखी के दिन खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। उन्होने मुगलों या उनके सहयोगियों ( जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा ) के साथ १४ युद्ध लड़े।
गुरू गोबिन्द सिंह्जी ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया और इसे ही सिखों को शाश्वत गुरू घोषित किया। बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी कासबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।[पूरा पढ़ें]