प्रवेशद्वार:इतिहास/चयनित लेख/3

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उत्तरी आयरलैंड संघर्ष, जिन्हें द ट्रबल्स (समस्याएँ) भी कहा जाता है, उत्तरी आयरलैंड में 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में व्याप्त जातीय-राष्ट्रवादी संघर्ष थे, जिन्हों ने हिंसक रूप ले लिया था। इसे कभी-कभी "अनियमित युद्ध" या "निम्न-स्तरीय युद्ध" कहकर भी वर्णित किया जाता है। यह संघर्ष 1960 के दशक के अंत में शुरू हुआ और भरी हद तक 1998 के गुड फ्राइडे समझौते के साथ समाप्त हुआ माना जाता है। हालांकि ये मुठभेड़ मुख्य रूप से उत्तरी आयरलैंड में हुईं थीं, मगर कई बार यह हिंसा आयरलैंड गणराज्य, इंग्लैंड और यूरोपीय मुख्यभूमि के अन्य कुछ हिस्सों में भी फैल गई थीं।

ये मुख्य रूप से राजनीतिक और राष्ट्रवादी संघर्ष ऐतिहासिक घटनाओं द्वारा प्रेरित था जो मुख्य रूपसे सम्पूर्ण आयरलैंड के आज़ादी मांग रहे आयरिश राष्ट्रवादियों और उत्तरी आयरलैंड का यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा बने रहने का समर्थन कर रहे संघवादियों। संघवादी, जो ज्यादातर प्रोटेस्टेंट थे जबकि अधिकांश आयरिश राष्ट्रवादी, कैथोलिक थे: अतः, इन हिंसक झड़पों में साम्प्रदायिक तनाव की भी स्थिति थी। बहरहाल, इसका मुख्य मुद्दा, उत्तरी आयरलैंड की संवैधानिक स्थिति ही थी। 1960 के दशक से 1990 के दशक तक चले इस संघर्ष में राष्ट्रवादी अर्धसैनिक गुट, संघवादी अर्धसैनिक गुट, ब्रिटिश सशस्त्र बल, राजनीतिक कार्यकर्ता और अनेक राजनेता शामिल थे, तथा इन 40 वर्षों में कुल 3,500 से अधिक लोग मारे गए थे।