प्रमोद मुथालिक
प्रमोद मुथालिक | |
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प्रमोद मुथालिक | |
जन्म |
१९६३ |
नागरिकता | भारतीय |
व्यवसाय | राजनीति |
प्रसिद्धि कारण | श्री राम सेना के प्रमुख |
धार्मिक मान्यता | हिंदुत्व |
प्रमोद मुथालिक (जन्म: १९६३) श्री राम सेना नमक हिन्दूवादी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
जीवन परिचय
उत्तर कर्नाटक के बगलकोट में जन्मे मुथालिक ने अपने शुरुआती दिन हिंदू दक्षिणपंथी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गुजारे. वे 13 साल की उम्र से ही शाखा जाने लगे थे। 1996 में आरएसएस में उनके वरिष्ठो ने मुथालिक को अपने सहयोगी संगठन बजरंग दल में भेज दिया। दल का दक्षिण भारत का संयोजक बनने में मुथालिक को एक साल से भी कम समय लगा। मुथालिक को जानने वाले इन्हें महत्वाकांक्षी, समर्पित और तीखा वक्ता कहते हैं। आरएसएस और इसके दूसरे संगठनों के साथ अपने 23 साल के जुड़ाव में मुथालिक का कई बार कानून से आमना-सामना हुआ और अपने ऊपर लगे भड़काऊ भाषण देने के आरोपों के चलते इनको कई बार जेल भी जाना पड़ा। हिंदुत्व के प्रति उसके तथाकथित समर्पण का जब इन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिला तो 2004 में उसने आरएसएस से अपना नाता तोड़ लिया। इन्होने दावा किया कि आरएसएस और इससे जुड़े अन्य संगठन पर्याप्त सख्ती न अपनाकर हिंदू हितों से गद्दारी कर रहे हैं। इसके बाद यह अपेक्षित ही था कि 2007 में स्थापना के बाद से ही अत्यंत कट्टर हिंदुत्व की राजनीति श्री राम सेना की पहचान बन गई। मुथालिक कहते हैं कि हिंसा ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। राजनीति के केंद्रीय रंगमंच पर आने की कोशिश में 2008 में मुथालिक ने राष्ट्रीय हिंदुत्व सेना का गठन किया, जो श्री राम सेना का राजनीतिक धड़ा है। लेकिन यह बुरी तरह से नाकाम रही। चुनाव लड़ने वाला इसका कोई भी उम्मीदवार अपनी मौजूदगी तक दर्ज नहीं करा सका। तहलका नामक समाचार पत्र से बात करते हुए मुथालिक ने कैमरे के सामने यह स्वीकार किया कि उसके उम्मीदवार राज्य चुनाव इसलिए हार गए क्योंकि 'हमें कामयाब होने के लिए पैसा, धर्म और ठगों की जरूरत है। हमें यह पता नहीं था। आज की राजनीतिक स्थिति बदतर हो गई है।'
चुनावी राजनीति में फिर से लौटने की कोशिश के फेर में मुथालिक और श्री राम सेना ने और अधिक कट्टर रुख अपनाते हुए 'हिंदू' पहचान को मजबूती देने की योजनाओं के एक सिलसिले की शुरुआत की। हालांकि इस संगठन का मजबूत आधार तटीय और उत्तर कर्नाटक के कुछ इलाकों में है, लेकिन इसकी गतिविधियां इन्हीं इलाकों तक सीमित नहीं हैं। 24 अगस्त 2008 को दिल्ली में श्री राम सेना के कुछ सदस्य सहमत नामक एनजीओ द्वारा आयोजित एक कला प्रदर्शनी में घुस गए और एमएफ हुसैन की अनेक तसवीरों को नष्ट कर दिया। एक माह बाद सितंबर में मंगलौर में एक सार्वजनिक सभा में बोलते हुए मुथालिक ने बैंगलोर बम धमाकों का जिक्र किया, और यह घोषणा की कि सेना के 700 सदस्य आत्मघाती हमले करने के लिए प्रशिक्षण ले रहे थे। उसने घोषणा की, 'अब हमारे पास और धैर्य नहीं है। हिंदुत्व को बचाने के लिए जैसे को तैसा का ही एकमात्र मंत्र हमारे पास बचा है। अगर हिंदुओं के धार्मिक महत्व के स्थलों को निशाना बनाया गया तो विरोधियों को कुचल दिया जाएगा। अगर हिंदू लड़कियों का दूसरे धर्म के लड़कों द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा तो अन्य धर्मों की दोगुनी लड़कियों को निशाना बनाया जाएगा।'
सन 2014 में में वे भारतीय जनता पार्टी नाम के रजनैतिक दल से जुड़े थे लेकिन तुरंत बाद ही उन्हें उस पार्टी से निष्काषित कर दिया गया था।[१]
सन्दर्भ