प्यार तूने क्या किया (2001 फ़िल्म)
प्यार तूने क्या किया | |
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निर्देशक | रजत मुखर्जी |
लेखक | रजत मुखर्जी |
अभिनेता |
फ़रदीन ख़ान, रवि बासवानी, सोनाली कुलकर्णी, उर्मिला मातोंडकर, सुरेश ओबेरॉय, राजपाल यादव, |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 2001 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
प्यार तूने क्या किया 2001 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
संक्षेप
रिया (उर्मिला मातोंडकर) एक अकेले रहने वाली और गुस्सैल औरत है, और मुंबई में रहने वाले एक अमीर व्यापारी, जैसवाल (सुरेश ओबेरॉय) की एकलौती बेटी है। जैसवाल अपनी बेटी से बहुत प्यार करता है, पर उसे अपनी बेटी के आक्रामक बर्ताव के कारण चिंतित रहता है। एक दिन रिया छुट्टियाँ बिताने के लिए गोवा जाती है।
जय (फ़रदीन ख़ान) एक फैशन फॉटोग्राफर है, जो गीता (सोनाली कुलकर्णी) के साथ अपनी शादीशुदा जिन्दगी में काफी खुश है। उसे एक दिन गोवा के एक मैगज़ीन के कवर पेज पर छापने हेतु एक फोटो लेने का काम दिया जाता है। वो रिया से मिलता है और बिना उससे पूछे ही उसका फोटो ले लेता है और मैगज़ीन में छापने हेतु दे देता है। उन तस्वीरों के कारण मैगज़ीन काफी प्रसिद्ध हो जाता है और उसके उच्च संपादक, विस्पी (रवि बसवानी) उसी को अपनी मॉडल के रूप में लेने की सोचता है। रिया को जय के ऊपर काफी गुस्सा आता है, क्योंकि उसने उसकी तस्वीर उससे बिना पूछे ही मैगज़ीन में छपवा दी, पर जय के काफी मनाने के बाद वो उसे माफ कर देती है और मॉडल बनने हेतु हाँ कर देती है। इसी बीच उसे जय से प्यार हो जाता है।
रिया अपने पिता को बताती है कि वो जय से प्यार करने लगी है। उसके पिता ये सब जान कर काफी खुश होते हैं, जिन्हें जय के बारे में कुछ पता नहीं होता है। वो जय को फोन लगाती है और उससे शादी की बात करती है, जय उसे अपने घर बुलाता है। जब वो जय के घर जाती है तो जय की पत्नी, गीता को देख कर हैरान रह जाती है। इस सच्चाई का पता चलने के बाद वो अवसाद में चले जाती है और बहुत ही बुरी तरह गाड़ी चलाते हुए घर जाती है। इसके बाद अचानक एक दिन वो अपने प्यार का इजहार जय से करती है, पर जय ये कहते हुए साफ इंकार कर देता है कि अगर उसकी शादी नहीं हुई होती तो वो जरूर उसके प्यार को स्वीकार कर लेता, और ऐसा कहते हुए उसे छोड़ कर चले जाता है।
रिया कई अलग अलग तरह से जय को पाने की कोशिश करती है। एक रात को जय को फोन कर ख़ुदकुशी की धमकी भी देती है और उसे आधी रात को घर आने को कहती है। रिया की जान बचाने के लिए जय को आधी रात उसके घर आना पड़ता है, जिससे गीता जय के ऊपर गुस्सा हो जाती है और जय को उस लड़की के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराने भी बोलती है। इसके बाद भी रिया उसे पाने के लिए अलग अलग तरीके अपनाने लगती है।
अंत में उसे लगने लगता है कि जब तक गीता जीवित है, तब तक जय उसका कभी नहीं हो सकेगा, इस कारण वो जय के घर में न होने का फायदा उठाकर गीता को मारने के लिए उसके घर आ जाती है। वो गीता को मारने ही वाली होती है कि जय घर में आ जाता है और उससे कहता है कि वो गीता को छोड़ दे, तभी वो उसे अपनाएगा। रिया उसकी बात मान कर गीता को छोड़ देती है और जय के पास आ जाती है। जय उसे गले लगाना छोड़ कर उसे जोरदार थप्पड़ मारता है, जिससे वो बेहोश हो जाती है। रिया के पिता जब आते हैं, तो जय उन्हें सारी बात बताता है।
6 माह बाद, गीता और जय अपनी जिंदगी में काफी खुश हैं। वहीं रिया पागलखाने में रह रही है। जय के घर, रिया के पिता आते हैं और उससे रिया के जन्मदिन के दिन एक अंतिम बार उससे मिलने को कहते हैं। जय उससे मिलने पागलखाने जाता है, वहाँ उसे पागल के रूप में देखता है। रिया जैसे ही जय को देखती है, उससे मिलने के लिए आगे बढ़ती है, पर अस्पताल के कर्मचारी और उसके पिता उसे रोक लेते हैं। उसकी ऐसी स्थिति को देख कर जय काफी दुःखी होता है और सोचने लगता है कि प्यार तूने क्या किया।