विटामिन
विटामिन (vitamin) या जीवन सत्व भोजन के अवयव हैं जिनकी सभी जीवों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक है।[१][२][३]
विटामिन की कमी से होने वाले रोग का विस्तृत रूप
- विटामिन ए- वृद्धि रुकना रतोधी व जीरफ्थेल्मिया , संक्रमण के प्रति प्रभाव्यता, त्वचा और झिल्लियों में परिवर्तन का आना, दोषपूर्ण दांत आदि ।
- विटामिन बी1 -- वृद्धि का रुकना ,भूख और वजन का घटना ,तंत्रिका विकास ,बेरी बेरी ,थकान का होना ,बदहजमी ,पेट की खराबी आदि ।
- विटामिन बी2-- वृद्धि का रुकना , धुधली दृष्टि का होना ,जीभ पर छाले का पड़ जाना ,असमय बुढ़ापा आना ,प्रकाश ना सह पाना आदि ।
- विटामिन बी3-- जीभ का चिकनापान ,त्वचा पर फोड़े फुंसी होना,पाचन क्रिया में गड़बड़ी ,मानसिक विकारों का होना आदि ।
- विटामिन बी5-- पेशियो में लकवा ,पैरो में जलन आदि ।
- विटामिन बी6-- त्वचा रोग ,मस्तिष्क का ठीक से काम ना करना ,शरीर का भार कम होना, अनीमिया आदि ।
- विटामिन बी7-- लकवा की शिकायत ,शरीर में दर्द , बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आदि ।
- विटामिन बी12-- रुधिर की कमी ।
- विटामिन सी -- मसूड़े फूलना ,अस्थियों के चारो ओर श्राव , जरा सी चोट पर रुधिर निकलना (स्कर्वी),अस्थियां कमजोर होना आदि ।
- विटामिन ई -- जनन शक्ति का कम होना ।
- विटामिन के -- रुधिर का स्राव होना ,ऐंठन , हीमोफीलिया आदि ।
- फोलिक एसिड -- अनीमिया तथा पेचिश रोग होता है ।
प्रमुख विटामिन
विटामिन A
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। विटामिन ए का रासायनिक नाम रेटिनॉल है। इसे antixerophthalmic विटामिन भी कहते है
विटामिन आँखों से देखने के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। साथ ही यह संक्रामक रोगों से बचाता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून, ग्रंथि, दाँत, मसूड़ा और हड्डी। सबसे महत्वपूर्ण स्थिती जो कि सिर्फ विटामिन ए के अभाव में होती है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधि (Night Blindness) कहते हैं। इसके साथ आँखों में आँसूओं के कमी से आँखें सूख जाती हैं और उनमें घाव भी हो सकते हैं। बच्चों में विटामिन ए के अभाव में विकास भी धीरे हो जाता है, जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है। त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चली जाती है। संक्रमित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है ताजे फल दूध माॅस अण्डा मछली का तेल गाजर मक्खन हरी सब्जियों में होता है Aका संश्लेषण पौधे के पीले या नारंगी वर्णक से प्राप्त केरोटिन से यकृत(लीवर)में होता हैैAदृष्टिवर्णक रोडोप्सिन के संश्लेषण में सहायक होता है रंतौधी मोतियाबिंद जीरोफ्थेल्मिया त्वचा शुष्क,शल्की संक्रमण का खतरा आंख का लैंस दूधिया आवरण से अपारदर्शक होने से मोतियाबिंद होता है
विटामिन बी
विटामिन बी शरीर को जीवन शक्ति देने के लिए अति आवश्यक होता है। इस विटामिन की कमी से शरीर अनेक रोगो का घर बन जाता है। विटामिन बी के कई विभागों की खोज की जा चुकी है। ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स कहलाते हैं। हालाँकि सभी विभाग एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं, लेकिन फिर भी सभी आपस में भिन्नता रखते हैं। विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स 120 सेंटीग्रेड तक की गर्मी सहन करने की क्षमता रखता है। उससे अधिक ताप यह सहन नहीं कर पाता और नष्ट हो जाता है। यह विटामिन पानी में घुलनशील होता है। इसके प्रमुख कार्य स्नायुओं को स्वस्थ रखना तथा भोजन के पाचन में सक्रिय योगदान देना होता है। भूख को बढ़ाकर यह शरीर को जीवन शक्ति देता है। खाया-पिया अंग लगाने में सहायता प्रदान करता है। क्षार पदार्थो के संयोग से यह बिना किसी ताप के नष्ट हो जाता है, पर अम्ल के साथ उबाले जाने पर भी नष्ट नहीं होता। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के स्रोतों में टमाटर, भूसी दार गेहूँ का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियों का साग, बादाम, अखरोट, बिना पॉलिश किया चावल, पौधों के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल, जिगर, वनस्पति साग-सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्की, चना, नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चावल की भूसी, फलदार सब्जी आदि आते हैं।
- विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग
हाथ पैरों की उँगलियों में सनसनाहट होना, मस्तिष्क की स्नायु में सूजन व दोष होना, पैर ठंडे व गीले होना, सिर के पिछले भाग में स्नायु दोष हो जाना, मांसपेशियों का कमजोर होना, हाथ पैरों के जोड़ अकड़ना, शरीर का वजन घट जाना, नींद कम आना, मूत्राशय मसाने में दोष आना, महामारी की खराबी होना, शरीर पर लाल चक्कत्ती निकलना, दिल कमजोर होना, शरीर में सूजन आना, सिर चकराना, नजर कम हो जाना, पाचन क्रिया की खराबी होना।
विटामिन सी
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विटामिन सी को एस्कोरबिक ऐसिड के नाम से भी जाना जाता है। इसे सर्वप्रथम गायोर्जी ने प्रथक किया था। यह शरीर की कोशिकाओं को बांध के रखता है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों को आकार बनाने में मदद मिलता है। यह शरीर के ब्लड वेस्सल या खून की नसों (रक्त वाहिकाओं, blood vessels) को मजबूत बनाता है। इसके एंटीहिस्टामीन गुणवत्ता के कारण, यह सामान्य सर्दी-जुकाम में दवा का काम कर सकता है। इसके अभाव में मसूड़ों से खून बहता है, दाँत दर्द हो सकता है, दाँत ढीले हो सकते हैं या निकल सकते हैं। त्वचा या चर्म में भी चोट लगने पर अधिक खून बह सकता है, रुखरा हो सकता है। आपको भूख कम लगेगी। बहुत अधिक विटामिन के अभाव से स्कर्वी (scurvy) रोग हो सकता है। विटामिन सी की कमी से शरीर का वजन कम हो जाता है
इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में और अन्य जगह में, एक प्रकार का पथरी हो सकता है। यह ओक्ज़लेट क्रिस्टल (oxalate crystal) का बना होता है। इससे पेशाब में जलन या दर्द हो सकता है, या फिर पेट खराब होने से दस्त हो सकते हैं। खून में कमी या एनिमीया (anemia) हो सकता है। विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं – नारंगी जैसे फल या सिट्रस फ्रूट्स।
विटामिन डी
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। विटामिन डी के अन्य नाम हैं –
- विटामिन डी2 या एर्गोकैल्सिफेरॉल (Vitamin D2 or Ergocalciferol)
- विटामिन डी3 या कोलेकेल्सिफेरोल (Vitamin D3 or Cholecalciferol)
यह शरीर की हड्डीयों को बनाने और संभाल कर रखने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर में केल्शियम (calcium) के स्तर को नियंत्रित रखता है। इसके अभाव में हड्डीयाँ कमजोर हो जाता हैे और टूट भी सकती हैं (फ्रेकचर या Fracture)। बच्चों में इस स्थिती को रिकेट्स (Rickets) कहते हैं और व्यस्क लोगों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया (osteomalacia) कहते हैं। इसके अलावा, हड्डी के पतला और कमजोर होने को ओस्टीयोपोरोसिस कहते हैं।
इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में, खून के नसों में और अन्य जगह में, एक प्रकार का पथरी हो सकती है। यह केल्सियम (calcium) का बना होता है। इससे ब्लड प्रेशर या रक्तचाप बढ सकता है, खून में कोलेस्ट्रोल अधिक हो सकता है और दिल पर असर पर सकता है। साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकते है। अंडे का पीला भाग (egg yolk), मछली के तेल, विटामिन डी युक्त दूध और बटर इसके अच्छे स्रोत हैं, इसके आलावा धूप सेकने से भी शरीर में शरीर में इसका निर्माण होता है।
विटामिन ई
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। विटामिन ई, खून में रेड बल्ड सेल या लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cell) को बनाने के काम आता है। इसे टोकोफ़ेरल भी कहते हैं। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि मांसपेशियां एवं अन्य टिशू या ऊत्तक। यह शरीर को ऑक्सिजन के एक नुकसानदायक रूप से बचाता है, जिसे ऑक्सिजन रेडिकल्स (oxygen radicals) कहते हैं। इस गुण को एंटीओक्सिडेंट (anti-oxidants) कहा जाता है। विटामिन ई, कोशिका के अस्तित्व बनाये रखने के लिये, उनके बाहरी कवच या सेल मेमब्रेन को बनाये रखता है। विटामिन ई, शरीर के फैटी एसिड को भी संतुलन में रखता है।
समय से पहले हुये या प्रीमेच्योर नवजात शिशु (Premature infants) में, विटामिन ई की कमी से खून में कमी हो जाती है। इससे उनमें एनिमीया (anemia) हो सकता है।
कुछ आवश्यक विटामिन
विटामिन | श्रेष्ठ स्रोत | भूमिका | आर. डी. ए. |
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विटामिन ए | दूध, मक्खन, गहरे हरे रंग की सब्जियां। शरीर पीले और हरे रंग के फल व सब्जियों में मौजूद पिग्मैंट कैरोटीन को भी विटामिन ‘ए’ में बदल देता है। | यह आंख के रेटिना, सरीखी शरीर की झिल्लियों, फ़ेफ़डों के अस्तर और पाचक-तंत्र प्रणाली के लिए आवश्यक है। | 1 मि, ग्राम. |
थायामिन बी | साबुत अनाज, आटा और दालें, मेवा, मटर फ़लियां | यह कार्बोहाइड्रेट के ज्वलन को सुनिशचित करता है। | 1.0-1.4 मि. ग्राम1.0-1.4 मि. ग्राम |
राइबोफ़्लैविन बी | दूध, पनीर | यह ऊर्जा रिलीज और रख–रखाव के लिए सभी कोशिकाओं के लिए आवश्यक है। | 1.2- 1.7 |
नियासीन | साबुत अनाज, आटा और एनरिच्ड अन्न | यह ऊर्जा रिलीज और रख रखाव, के लिए सभी कोशिकाओं के लिए आवश्कता होती है। | 13-19 मि. ग्रा |
पिरीडांक्सिन बी | साबुत अनाज, दूध | रक्त कोशिकाओं और तंत्रिकाओं को समुचित रुप से काम करने के लिए इसकी जरुरत होती है। | लगभग 2 मि. ग्रा |
पेण्टोथेनिक अम्ल | गिरीदार फ़ल और साबुत अनाज | ऊर्जा पैदा करने के लिए सभी कोशिकाओं को इसकी जरुरत पडती है। | 4-7 मि. ग्रा |
बायोटीन | गिरीदार फ़ल और ताजा सब्जियां | त्वचा और परिसंचरण-तंत्र के लिए आवश्यक है। | 100-200 मि. ग्रा |
विटामिन बी | दूग्धशाला उत्पाद | लाल रक्त कोशिकाओं, अस्थि मज्जा-उत्पादन के साथ-साथ तंत्रिका-तंत्र के लिए आवश्यक है। | 3 मि.ग्रा |
फ़ोलिक अम्ल | ताजी सब्जियां | लाल कोशिकाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक है। | 400 मि. ग्रा |
विटामिन ‘सी’ | सभी रसदार फ़ल. टमाटर कच्ची बंदगोभी, आलू, स्ट्रॉबेरी | हडिडयों, दांत, और ऊतकों के रख-रखाव के लिए आवश्यक है। | 60 मि, ग्रा |
विटामिन ‘डी’ | दुग्धशाला उत्पाद। बदन में धूप सेकने से कुछ एक विटामिन त्वचा में भी पैदा हो सकते है। | रक्त में कैल्सियम का स्तर बनाए रखने और हडिडयों के संवर्द्ध के लिए आवश्यक है। | 5-10 मि. ग्रा |
विटामिन ‘ई’ | वनस्पति तेल और अनेक दूसरे खाघ पदार्थ | वसीय तत्त्वों से निपटने वाले ऊतकों तथा कोशिका झिल्ली की रचना के लिए जरुरी है। | 8-10 मि. ग्रा |
अनाज | फल | सब्जियाँ | माँस व अंडे | फलियाँ, दाने व बीज | दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थ | |
थायमिन | X | X | X | |||
राइबोफ्लेविन | X | X | ||||
नाइसिन | X | X | X | |||
बायोटिन | X | X | X | |||
पायरिडॉक्सिन | X | X | X | |||
पैंटोथेनोइक अम्ल | X | X | X | X | X | X |
विटामिन बी१२ | X | X | ||||
फोलेट | X | X | ||||
विटामिन सी | X | X |
- प्रकाश, ताप आदि का प्रभाव
विटामिन | जल में घुलनशील | वायु के सम्पर्क में स्थायित्व | प्रकाश के सम्पर्क में स्थायित्व | ताप के साथ स्थायित्व |
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विटामिन A | नहीं | अंशतः | अंशतः | अपेक्षाकृत स्थाई |
विटामिन C | अत्यन्त अस्थाई | हाँ | हाँ | हाँ |
Vitamin D | no | no | no | no |
Vitamin E | no | yes | yes | no |
Vitamin K | no | no | yes | no |
Thiamine (B1) | highly | no | ? | > 100 °C |
Riboflavin (B2) | slightly | no | in solution | no |
Niacin (B3) | yes | no | no | no |
Pantothenic Acid (B5) | quite stable | ? | no | yes |
Vitamin B6 | yes | ? | yes | ? |
Biotin (B7) | somewhat | ? | ? | no |
Folic Acid (B9) | yes | ? | when dry | at high temp |
Cobalamin (B12) | yes | ? | yes | no |
विटामिन और उनकी कमी से होने वाले रोग
Sr No | विटामिन | कमी से होन वाले रोग | |||
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1 | विटामिन – ए | रतौंधी, संक्रमणों का खतरा, जीरोप्थैलमिया, मोतियाबिंद, त्वचा शुष्क व शल्की | |||
2 | विटामिन – बी 1 | बेरी बेरी | |||
3 | विटामिन – बी 2 | त्वचा का फटना, आँखों का लाल होना | |||
4 | विटामिन – बी 3 | त्वचा पर दाद होना | |||
5 | विटामिन – बी 5 | बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना | |||
6 | विटामिन – बी 6 | एनिमिया, त्वचा रोग | |||
7 | विटामिन – बी 7 | लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना | |||
8 | विटामिन – बी 11 | एनीमिया,पेचिस रोग | 9 | विटामिन – बी 12 | एनिमिया, पांडुरोग रोग |
10 | विटामिन – सी | स्कर्वी | |||
11 | विटामिन – डी | रिकेट्स, ऑस्टियोमलेशिया | |||
12 | विटामिन – ई | जनन शक्ति का कम होना | |||
13 | विटामिन – के | रक्त का थक्का न जमना |