पूरनचंद जोशी

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पूरनचंद जोशी (जन्म : १ मार्च १९२८) भारत के एक जाने-माने समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री और हिन्दी साहित्यकार हैं। उन्होंने भारतीय समाज की समस्याओं, उसके चरित्र एवं उसकी गतिविधियों का आर्थिक दृष्टिकोण से गहन अध्ययन किया है, भारतीय समाज एवं भारतीय अर्थ-व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर प्रस्तुत किए गए उनके निष्कर्ष अत्यंत विचारपूर्ण हैं।

जोशी जी की गणना हम उन गिने-चुने समाज वैज्ञानिकों में कर सकते हैं जो समाज की समस्याओं पर विचार करते समय केवल सैद्धान्तिक ज्ञान को ही आधार नहीं बनाते, वरन् व्यावहारिक अनुभव से सम्पृक्त करके अपने अध्ययनों के निष्कर्ष प्रस्तावित करते हैं।

जीवन वृत्त

जोशी जी का जन्म १ मार्च १९२८ को वर्तमान उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जनपद के ग्राम दिगोली में एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र एवं अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया। १९५४ में पी.एच.डी. करने के बाद ये प्राध्यापन कार्य से जुड़े। १९८८-८९ में वे 'भारतीय मजदूर आर्थिक समाज' (इंडियन लेबर इकनॉमिक्स सोसाईटी) के अध्यक्ष चुने गए। अगले ही वर्ष वे 'भारतीय समाजशास्त्रीय समाज' (इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसायटी) के भी अध्यक्ष बनाये गए। १९९०-९२ में वे दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 'फैलो' के रूप में कार्यरत रहे। कालान्तर में वे 'राष्ट्रीय-नाट्य-विद्यालय' के अध्यक्ष भी बनाए गए। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में विज्ञान शिक्षा केंद्र (सेंटर ऑफ साईंस एजुकेशन) में अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। भारत-सरकार ने इन्हें योजना आयोग के एक पैनल के एक सदस्य के रूप में मनोनीत किया।

पुस्तकें

जोशी जी ने हिंदी तथा अंग्रेजी में अनेक उल्लेखनीय पुस्तकें लिखी हैं-

हिंदी पुस्तकें

  • भारतीय ग्राम
  • शताब्दि का अंत
  • सांस्कृतिक परिवर्तन और विकास के सांस्कृतिक आयाम
  • अवधारणाओं का संकट
  • नवउपनिवेशवाद या नव जागरण
  • स्वप्न और यथार्थ : आजादी की आधी सदी
  • पूजा की पोथी

अंग्रेजी पुस्तकें

  • लैंड रिफॉर्स् इन इंडिया
  • कल्चरल कम्युनिकेशन एंड स्पेशल चेंज
  • मार्क्सिस एंड सोशल रिवोल्यूशन इन इंडिया
  • दि कलचरल डाइमेंशन ऑफ इकोनामिक डेवलपमेंट
  • उत्तराखंड : ईशुज एंड चैलेंजेज़
  • दि इंडियन एक्सपेरिमेंट
  • महात्मा गांधी : द न्यू इकोनामिक ऐजेंडा
  • सेकुलेरिज़म एंड डेवेलेपमेंट

पुरस्कार / सम्मान

रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता ने समाजशास्व के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व कार्य के लिए इन्हें डी.लिट. की विशिष्ट उपाधि प्रदान की।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ