पुरुष नसबंदी
नसबंदी | |
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पृष्ठभूमि | |
गर्भ निरोध का प्रकार | बंध्याकरण |
प्रथम उपयोग | 1899 (परीक्षण सन 1785 से चल रहे थे)[१] |
विफलता दर (प्रथम वर्ष) | |
सफल उपयोग | <0.1% |
ठेठ उपयोग | 0.15%, "वास-क्लिप" लगभग 1% |
उपयोग | |
अवधि प्रभाव | स्थायी |
प्रतिवर्तियता | संभव, लेकिन महंगा और सफलता की दर कम। |
प्रयोक्ता अनुस्मारक | सफल प्रक्रिया को सत्यापित करने के लिए वीर्य के लगातार दो शून्य शुक्राणु नमूनों की आवश्यकता। |
नैदानिक समीक्षा | सभी |
फायदे और नुकसान | |
यौन संचारित रोगों से बचाव | नहीं |
लाभ | सामान्य निश्चेतक की आवश्यकता नहीं। नलबंदी की तुलना में लागत में कम। |
जोखिम | अस्थायी स्थानीय जलन या वृषणों में सूजन। जननांग में लंबी अवधि का दर्द (PVPS)। |
पुरुष बन्ध्याकरण या पुरुष नसबंदी या वासेक्टोमी (Vasectomy), पुरुषों के लिए शल्यक्रिया द्वारा बन्ध्याकरण प्रक्रिया है। इस क्रिया से पुरुषों की शुक्रवाहक नलिका अवरुद्ध कर दी जाती है जिससे शुक्राणु वीर्य के साथ पुरुष लिंग तक नहीं पहुँच सकें।
पुरुष इस क्रिया के बाद भी वीर्य को छोड़ना जारी रखता है तथा इससे उसकी संभोग क्रिया में किसी भी प्रकार का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। पुरुष को उसकी मर्दानगी और संभोग कार्य निष्पादन के विषय में चिंता से मुक्त होने के लिए पर्याप्त तथा सचेतन परामर्श की आवश्यकता हो सकती है।
नश्तर बिना बन्ध्याकरण के मामले में अंडकोश की थैली के दोनों ओर एक मामूली सा छेद किया जाता है जिससे "वास डेफरन" बाहर आ जाता है जिसे या तो काटा ,बांधा या फिर उस पर क्लिप लगा दिया जाता है। इसके लिए स्थानीय अनेस्थीसिया दिया जाता है। बन्ध्याकरण एक मामूली तथा साधारण सी शल्य क्रिया है किंतु पुरुषों को शल्यक्रिया के पश्चात कम से कम 48 घंटे आराम करना होता है तथा एक सप्ताह तक उन्हें कोई भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। व्यक्ति को मैथुन क्रिया सभी प्रकार के दर्द बंद होने तथा किसी भी मामले में एक सप्ताह के बाद ही आरंभ करनी चाहिए। शल्य क्रिया के बाद 2 से 3 महीने तक वैकल्पिक परिवार नियोजन के उपाए अपनाना चाहिए, क्योंकि वीर्य अपने वीर्य डक्ट में 3 महीने तक रह सकता है।
यदि शल्य क्रिया के बाद तेज बुखार, अधिकाधिक या लगातार रक्त स्राव, सूजन या दर्द होता हो, तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। पुरुष का बन्ध्याकरण करना सुरक्षित और आसान है क्योंकि पुरुष का लिंग, महिला की तुलना में बाहर होता है। अतः बन्ध्याकरण के समय शारीरिक अंगों के साथ कम से कम छेड़ छाड़ करनी पड़ती है तथा जटिलता भी कम से कम होती है। इसके अतिरिक्त, बन्ध्याकरण क्रिया से कोई अन्य लंबी अवधि के खतरे नहीं जुड़े होते है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Paul Popenoe (1934). "The Progress of Eugenic Sterilization". Journal of Heredity. 25:1: 19. Archived from the original on 18 अप्रैल 2009. Retrieved 7 जनवरी 2011.
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