पाकिस्तान की सेनेट
पाकिस्तान की सेनेट ایوانِ بالا پاکستان | |
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प्रकार | |
प्रकार |
राज्य सभा of the मजलिस-ए-शूरा |
साँचा:longitem | 6 साल |
इतिहास | |
साँचा:longitem | साँचा:start date |
Structure | |
सीटें | 104 |
साँचा:longitem |
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चुनाव | |
साँचा:longitem | Single transferable vote |
साँचा:longitem | 3 मार्च 2018 |
साँचा:longitem | 2021 |
बैठक स्थान | |
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वेबसाइट | |
www |
पाकिस्तान की राजनीति और सरकार पर एक श्रेणी का भाग |
संविधान |
सेनेट, (साँचा:lang-ur) या आइवान-ए बाला पाकिस्तान (साँचा:lang-ur) पाकिस्तान की द्विसदनीय विधायिका का उच्चसदन है। इसके चुनाव त्रिवर्षीय अवधि पश्चात, आधे संख्या के सीटों के लिए आयोजित किए जाते है। यहाँ सदस्यों क कार्यकाल 6 वर्ष होता है। सीनेट के अध्यक्ष देश के राष्ट्रपति का अभिनय होते हैं। इसे 1973 में स्थापित किया गया था पाकिस्तान के संविधान में सेनेट से संबंधित सारे प्रावधान अनुच्छेद 59 में दिए गए हैं। पाकिस्तान के संसद भवन में सेनेट का कक्ष पूर्वी भाग में है।
सीनेट को ऐसे कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जो नैशनल असेम्ब्ली के पास नहीं है। इस संसदीय बिल बनाने के रूप में एक कानून के लिए मजबूर किया जा रहा की शक्तियों को भी शामिल है। सीनेट में हर तीन साल पर सीनेट की आधे सीटों के लिए चुनाव आयोजित की जाती हैं और प्रत्येक सीनेटर छह वर्ष की अवधि के लिये चुना जाता है। संविधान में सेनेट भंग करने का कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया है, बल्की, इसमें इसे भंग करने पर मनाही है।
पृष्ठभूमि व इतिहास
पाकिस्तान की आजादी के बाद पाकिस्तान की पहली संविधानसभा जो कि दिसंबर 1945 में चुनी गई थी, की जिम्मेदारियों में यह बात महत्वपूर्ण था कि नवस्वतंत्र राज्य पाकिस्तान का संविधान बनाया जाए। विधानसभा ने सर्वसम्मति से 12 मार्च सन् 1949 को उद्देश्य संकल्प(क़रारदाद-ए-मक़ासद) पारित किया, जिसके आदर्शों पर नए संविधान की स्थापना की जानी थी। इससे पहले कि यह सभा उद्देश्य संकल्प के मुताबिक नया संविधान बना पाती, अक्टूबर 1954 में इस सभा को भंग कर दिया गया। नव-गठित संविधानसभा ने मई 1955 में अपने गठन के बाद नया संविधान गठन किया जो 29 फरवरी 1956 को पारित किया गया और 23 मार्च 1956 को लागू कर दिया गया, इस संविधान के अनुसार देश में संसदीय शासन स्थापित किया गया। 14 अगस्त 1947 से 23 मार्च 1956 तक पाकिस्तान में भारत सरकार अधिनियम, १९३५ बतौर संविधान लागू था।
7 अक्टूबर 1958 ई। को देश में सैन्य शासन लागू कर, संविधान को निलंबित कर दिया गया। सैन्य सरकार ने फरवरी 1960 को एक संवैधानिक आयोग का गठन किया जिसने 1962 के संविधान को गठित किया। इस संविधान के तहत देश में अध्यक्षीय प्रणाली(राष्ट्रपति प्रणाली) लागू किया गया। 25 मार्च 1969 को इस संविधान को भी 1970 की संवैधानिक आपदा के दौरान निलंबित कर दिया गया और आपातकाल घोशित कर दिया गया।
1970 में चुनी गई जन सरकार ने 1973 का संविधान सर्वसम्मति से गठित किया और यह संविधान 14 अगस्त 1973 को लागू हुआ। इस संविधान के अनुसार देश में संसदीय प्रणाली स्थापित किया गया और शूरा के दो सदन भी गठित किए गए(सिनेट और नैशनल असेम्बली)।
1973 तक पाकिस्तान की संसद एक सदनीय थी। 1971 में बांग्लादेश स्वतंत्रता युद्ध के पश्चात जब पाकिस्तान टूट गया तब पाकिस्तानी सियासी समुदाय में इसके टूटने के कारणों में एक कारण यह भी समझा गया की सरकारें छोटे राज्यों को ध्यान नहीं देता था। अतः 1970 की अंतरिम विधानमंडल ने 1973 का संविधान गठन किया जिसे 12 अप्रैल 1973 को पारित किया गया और 14 अगस्त 1973 को इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में पूरी तरह से लागू कर दिया गया जिसके अनुसार पाकिस्तान में द्वीसदनीय संसदीय प्रणाली स्थापित की गई। तथा, पहली बार 1973 के संविधान द्वारा एक उच्चसदन, यानी सीनेट को स्थापित किया गया ताकि सभी छोटे राज्यों को बड़े राज्यों के तरह प्रतिनिधित्व मिल जाए। क्योंकि राष्ट्रीय विधानसभा में तो हर प्रांत से सदस्यों बहुमत के आधार पे चुने गए हैं यानी जिस प्रांत की अधिक आबादी होती है वही ज्यादा सीटें चुने गए हैं लेकिन सीनेट में सभी प्रांतों सदस्यों बराबर संख्या में चुने गए हैं। साथ ही यह भी प्रावधान है की लागू होने हेतु, किसी भी विधेयक को, मजलिस-ए शूरा के दोनों सदनों में पारित होना अनिवार्य किया गया है।
आइवानी बाला या सीनेट के सदस्यों की संख्या शुरुआत में 45 निर्धारित की गई थी जिसे 1977 में बढ़ाकर 63, और 1977 में 87 कर दिया गया। राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के शासनकाल में इस सदन के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 100 कर दी गई। यह संशोधन कानूनी ढांचे आदेश, 2002 द्वारा की गई थी, जो 21 अगस्त 2002 को लागू हुआ था।
मुख्य उद्देश्य और संरचना
इस सदन के गठन का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की सभी संघीय इकाइयों(प्रांतों व प्रदेशों) को एक मंच पर प्रतिनिधित्व देना है(इस संदर्भ में इसे पाकिस्तान में राज्यसभा के द्वंधी के रूप में दखा जा सकता है)। निचले सदन यानी नेशनल असेंबली में मौजूद हर प्रांत से बराबर संख्या में प्रत्येक के प्रतिनिधित्व का अवसर इस सदन में दिया जाता है। वर्तमान समय में सेनेट में कुल 104 सीटें हैं जिनमें से 18 महिलाओं के लिये अरक्षित हैं। इसमें चार प्रांतों में से प्रत्येक के लिये जनसंख्या से निर्आधार 14 सदस्य हैं, और फाटा के लिये 8 सदस्य हैं
प्रांत / क्षेत्र | आम सीट | टेक्नोक्रेट/उलेमा | महिलाओं | गैर मुस्लिम | कल सीटें |
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बलूचिस्तान | 14 | 4 | 4 | 1 | 23 |
खैबर पख्तूनख्वा | 14 | 4 | 4 | 1 | 23 |
सिंध | 14 | 4 | 4 | 1 | 23 |
पंजाब | 14 | 4 | 4 | 1 | 23 |
जनजातीय क्षेत्र | 8 | - | - | - | 8 |
इस्लामाबाद | 2 | 1 | 1 | - | 4 |
कुल सीटें | 104 |
- नोट: संविधान पाकिस्तान के 18 वें संशोधन में ग़ैर मुसलमानों के लिए चार सीटें बढ़ा दिए गए हैं।
नियुक्ति
इस सदन के 104 सदस्यों का चयन कुछ इस तरह से होता है:
- 14 सदस्यों प्रत्येक विधानसभा से चयन हूँ जाएगा।
- 8 सदस्यों का चयन फाटा से होगा।
- 2 आम सीटें और एक महिला सीट और एक टेक्नो टोकरा जैसे कि "आलम"।
- 4 महिलाओं का चयन प्रत्येक विधानसभा से होगा।
- 4 उलेमा का चयन प्रत्येक विधानसभा से होगा।
- हर प्रांत से एक सीट अल्पसंख्यक के लिए आरक्षित होगी।
सभापति
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पाकिस्तान की सिनेट के अध्यक्ष या आमीर मजलिस आइवान बाला पाकिस्तान की सिनेट का सभापति पद है।[१] पाकिस्तान की संविधान के अनुसार सेनेट अध्यक्ष, पाकिस्तान की सिनेट के अधिष्ठाता एवं पाकिस्तान की राष्ट्रपतित्व के उत्तराधिकार पंक्ति में दूसरे स्थान पर हैं। संविधान के अनुसार अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव सिनेट द्वारा ही तीन वर्षीय अवधी हेतु किया जाता है।[२] संविधान के अनुच्छेद 49 के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति के दौरान, सेनेट अध्यक्ष को राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों से सशक्त किया गया है, एवं अत्यंत दुर्लभ स्थितियों में, अध्यक्ष की भी अनुपस्थिति में यह अधिकार सेनेट के उपाध्यक्ष के अधिकार में दिया गया है।[३][४] पाकिस्तान की से नेट के प्रथम अध्यक्ष खान हबीब उल्लाह खान मरवाट थे जबकि वसीम सज्जाद, अब तक, इस पद पर दीर्घतम् समय तक रहने वाले पदाधिकारी हैं।[५]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Article 60(1) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। of the Chapter 2: Majlis-e-Shoora (Parliament) in Part III of the Constitution of Pakistan.
- ↑ Article 60(2), 63(6–7) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। of the Chapter 2: Majlis-e-Shoora (Parliament) in Part III of the Constitution of Pakistan.
- ↑ Article 49(1) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। of the Chapter 1: The President in Part III of the Constitution of Pakistan.
- ↑ Article 49(2) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। of the Chapter 1: The President in Part III of the Constitution of Pakistan.
- ↑ साँचा:cite web